कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नियमित विद्यार्थियों की 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है। इससे कम उपस्थिति विद्यार्थियों को परीक्षा में बतौर स्वयंपाठी बैठाने के अलावा राजभवन को सूचना भेजना जरूरी है। फिर भी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति पूरी हो जाती है। राज्यपाल कल्याण सिंह ने कक्षाओं में बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू करने के लिए साल 2016 में एक समिति बनाई थी। इसमें मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. पी. शर्मा, राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (तब जोधपुर में) शामिल थे। कमेटी ने उसी साल राजभवन को सिफारिश सौंप दी।
नहीं हो पाई शुरुआतकॉलेज और विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस की शुरुआत नहीं हो पाई है। मदस विश्वविद्यालय में तो टीका-टिप्पणियों का दौर चला। अफसरों ने विद्यार्थियों की एक या दोबार अटेंडेंस, मशीनों की खरीद, डाटा सुरक्षा, सर्वर पर भार और अन्य सवाल पूछ लिए। कॉलेज में भी प्राचार्यों ने भी छात्रसंघों की नाराजगी के चलते कदम नहीं बढ़ाए।
राजभवन हुआ गंभीर हाल में सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिव-अधिकारियों की वीडियो कॉन्फे्रंसिंग हुई। इसमें राजभवन ने विद्यार्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस की शुरुआत नहीं होने पर नाराजगी जताई। साथ ही जल्द कवायद शुरू करने को कहा। राजभवन ने साफ कहा कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस का ब्यौरा संबंधित विश्वविद्यालय सहित सरकार के पोर्टल पर भी डालना होगा। इसको लेकर विश्वविद्यालयों को जल्द निर्देश भी जारी किए जाएंगे।
सरकार-निदेशालय ने बनाई दूरी
सरकारी और निजी कॉलेज में भी बायोमेट्रिक प्रणाली से विद्यार्थियों की अटेंडेंस होनी है। सरकार और कॉलेज शिक्षा निदेशालय के बीच नवीन प्रणाली पर विचार-विमर्श नहीं हुआ है। सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में रजिस्टर में ही विद्यार्थियों की अटेंडेंस हो रही है।