scriptहादसे का दर्द….कहां हो जीशान के पापा, नहीं रहा हमारे जिगर के टुकड़ा | Mother crying after son's death, search for husband | Patrika News
अजमेर

हादसे का दर्द….कहां हो जीशान के पापा, नहीं रहा हमारे जिगर के टुकड़ा

काल के क्रूर हाथों ने मां की गोद में सिर रखे बेटे को अपनी ओर खींच लिया। बार-बार यही कहती रही कि वह बेटे के लिए कुछ नहीं कर सकी।

अजमेरJul 08, 2018 / 07:37 pm

raktim tiwari

roadways accident

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अजमेर

काल बनकर आए डम्पर की तबीजी में पाली आगार की रोडवेज बस से भिड़ंत में बस में सवार बेटे के सिर में गंभीर चोट लगी, खून बह चला मगर मां ने हाथ टूटने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी। उसने बेटे को गोद में लेटाया, चोट से बह रहे खून को रोकने का प्रयास किया। बेटे को उठाने का प्रयास किया। बेटे का नाम पुकारती रही मगर वह तब बोलता जब उसमें जान होती। काल के क्रूर हाथों ने मां की गोद में सिर रखे बेटे को अपनी ओर खींच लिया। मां बार-बार यही कहती रही कि वह बेटे के लिए कुछ नहीं कर सकी।
जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में गंभीर घायलों का एक ओर इलाज चल रहा था वहां मोर्चरी में एक-एक कर छह शव सुरक्षित रखवाए गए। इनमें एक शव सोजतसिटी निवासी मोहम्मद जीशान (18) पुत्र मोहम्मद सईद का भी था। वह अपने पिता सईद, माता सायरा, दो बहनों शाहीन व सिमरन के साथ ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह जियारत के लिए रोडवेज बस में अजमेर आ रहे थे।
अजमेर सीमा में घुसने के चंद पलों में ही सड़क हादसे में जीशान की मौके पर मौत हो गई जबकि पिता सईद गंभीर घायल हो गए, जो वेंटीलेटर पर हैं। अस्पताल में विलाप करती सायरा को करीब डेढ़ घंटे तक यही बताया गया कि जीशान व सईद का इलाज चल रहा है। मगर जब परिवार के अन्य लोग व जीशान के चाचा पहुंचे तो बताया कि जीशान अब दुनिया में नहीं रहा।
ये सुनते सायरा अपनी दोनों बेटियों का बांहों में भरकर फूट-फूट कर रो पड़ीं। बिलखती मां के यही बोल फूट रहे थे…जीशान के पापा तुम कहां हो.. तुम्हारा जीशान अब दुनिया में नहीं है…। शाहीन बिलखती हुए अपने भाई को पुकार रही थी…एक बार आ जाओ जीशान.. अब हमारा भाई नहीं है। एक भाई बीस साल पहले खत्म हो गया अब एक और भाई भी चल बसा।
दसवीं में आए थे 80 प्रतिशत

जीशान पढ़ाई में होशियार था। हाल ही दसवीं की परीक्षा में उसने स्कूल में टॉप किया। शाहीन के अनुसार जीशान के 80 प्रतिशत से अधिक अंक आए थे। वे लोग परिवार के साथ सब ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में जियारत करने आ रहे थे। उन्हें किसी को नहीं पता कि जियारत से पहले ही उन्हें छोड़ कर वह चल बसेगा।

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