विश्वविद्यालयय में विभागवार 20 नए शिक्षकों
(teachers appointment) की भर्ती होनी है। इनमें विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और अन्य संकाय के विषय शामिल हैं। साल 2017 में विश्वविद्यालय सिर्फ जूलॉजी और बॉटनी विभाग के प्रोफेसर (professor) की भर्ती कर सका था। इसके बाद हाईकोर्ट (rajasthan high court) में रोक, स्थाई कुलपति
(vice chancellor)नहीं होने और तकनीकी कारणों से भर्तियां अटक गई थीं। पिछले साल पूर्व कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली (vijay shrimali) ने शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्तियों की इच्छा जताई। उनके प्रयासों से 6 जुलाई से ऑनलाइन फार्म भरने की शुरुआत भी हो गई। दुर्भाग्य से 21 जुलाई को उनका देहांत हो गया। तबसे आवेदन और भर्तियों भी कागजों में दब गई।
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Central University : सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में छात्रा से बलात्कार का प्रयास दो बार भरवा चुके फार्मपूर्व कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी (kailash sodani)के कार्यकाल में अक्टूबर 2016 में शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन (application) मांगे गए थे। इनमें प्रोफेसर-इकोनॉमिक्स, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, रीडर-बॉटनी (2), इकोनॉमिक्स (1), भूगोल (1), इतिहास (2), गणित (1), राजनीति विज्ञान (2), प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री (1), समाजशास्त्र (1), जूलॉजी (2)लेक्चरर-कम्प्यूटर एप्लीकेशन (1), भूगोल (1), प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री (1), समाजशास्त्र (1), जूलॉजी (1) शामिल थे। कई शैक्षिक पदों के लिए पर्याप्त आवेदन नहीं मिले पाए। इसको देखते हुए उन पदों पर पिछले साल 1 अगस्त तक दोबारा आवेदन मांगे गए थे।
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student union election: बनेगी मतदाता सूचियां, चुनाव कार्यक्रम का इंतजार 18 शिक्षकों के भरोसे विभाग विश्वविद्यालय के विभाग मात्र 18 शिक्षकों के भरोसे संचालित है। इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग, हिंदी, बीएड और लॉ विभाग में एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉमर्स, कम्प्यूटर विज्ञान, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन विभाग में महज एक-एक शिक्षक है। लॉ, हिन्दी और पत्रकारिता विभाग में शिक्षकों के पद सृजित नहीं हुए हैं।
वो पुराना विवाद….
साल 2007 में विश्वविद्यालय ने शिक्षकों के सात पदों के लिए साक्षात्कार कराए गए थे। भर्ती में आरक्षण का ध्यान नहीं रखने, देर रात तक साक्षात्कार कराने जैसी शिकायतों पर तत्कालीन राज्यपाल ए. आर. किदवई (A.R.Quidwai)ने विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल की बैठक और लिफाफे खोलने पर रोक लगा दी। इसके बाद वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल एस. के. सिंह (S.K.Singh)ने भर्ती प्रक्रिया के तहत लिफाफे और पैनल निरस्त कर दिए थे।