फैक्ट फाइल- – 20 से 25 हजार के करीब मूर्तियां तैयार
– 1/2 फीट से सात फीट तक की मूर्तिंयां – 101 रुपए से लेकर 5000 हजार तक की मूर्तियां
– 10 से अधिक स्थानों पर बिक रही है मूर्तिंयां
मुम्बई के लाल बाग का बादशाह- मूर्तिकारों ने बताया कि मुम्बई के लाल बाग का बादशाह की गणेश प्रतिमा और मद्रास के डगरू सेठ की प्रतिमा तैयार की गई है। इसी प्रकार कछुए पर विराजित गणेश प्रतिमा, मछली पर विराजित, चूहे पर विराजित, कमल पर विराजित, पगड़ी बांधे गणेश प्रतिमा, गणेश गणेश, सिंहासन पर विजारित, मोर पर विराजित गणेश प्रतिमा बनाई गई है।
अजमेर में बाहर जा रही बड़ी मूर्तिंयां-
पिछले 17 सालों से मूर्तियां बना रहे शहर के क्रिश्चियनगंज क्षेत्र में मूर्ति बनाने वाले मानाराम ने बताया कि मूर्तियां बनाने की तैयारी करीब तीन माह पहले प्रारंभ हो जाती है। अजमेर के ब्यावर, किशनगढ़, नसीराबाद, सरवाड़, मेड़ता, पुष्कर, नागौर, रूपनगढ़, परबतसर, कुचामन सहित कई क्षेत्रों में मूर्तियां यहां से जाती है। इसमें से अधिकांश स्थानों पर ऑर्डर के आधार पर मूर्तियां तैयार की गई है।
आजाद पार्क में होगा विसर्जन-
नगर निगम की ओर से आजाद पार्क में बड़ा टैंक तैयार करवा रखा है। वहां पर प्रतिवर्ष अनंत चतुदर्शी पर प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। विर्सजन के दौरान प्रतिमाओं की संख्या अधिक होने पर वहां पर पानी की सप्लाई जारी रहती है और विसर्जन के बाद तुरंत प्रतिमाओं को हटवाते रहते हैं।
चोरी-छिपे झील में करते विसर्जन –
नगर निगम की ओर से आनासागर, फॉयसागर सहित अन्य तालाबों में गणेश की प्रतिमाओं के विर्सजन पर पूर्णत: रोक है। इसके बावजूद वैशाली नगर स्थित पुरानी और नई चौपाटी से गणेश प्रतिमाओं का चोरी-छिपे विसर्जन कर दिया जाता है।
जीव-जतुंओं को पहुंचता नुकसान-
शहर में बिकने वाली अधिकांश मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी होती है। प्रतिमाओं को सजाने के लिए विभिन्न तरीके के रंग, सितारे आदि भी लगे होते हैं। इन्हें पानी में डालना जलीय जीव जतुंओं के लिए घातक होता है। इसके कारण मछलियों की मौत तक हो जाती है। इसलिए नगर निगम की ओर से विर्सजन के लिए आजाद पार्क में अलग से कुंड बना रखा है।