scriptशहर के कचरे का निपटारा होगा बॉयो माइनिंग तकनीकी से | City waste will be disposed of with bio-mining technology | Patrika News
अजमेर

शहर के कचरे का निपटारा होगा बॉयो माइनिंग तकनीकी से

स्मार्ट सिटी के तहत बॉयो माइनिंग प्लांट लगाने की तैयारी
प्लांट लगाने पर खर्च होंगे 14 करोड,टेंडर जारी एनजीटी की गाइड लाइन की करनी होगी पालना

अजमेरJan 29, 2020 / 10:00 pm

bhupendra singh

शहर के कचरे का निपटारा होगा बॉयो माइनिंग तकनीकी से

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अजमेर.नसीराबाद रोड पर बनाए गए डम्पिंग यार्ड में पड़े कचरे waste व शहर में प्रतिदिन उत्पादित हो रहे कचरे का निस्तारण disposed अब स्मार्ट सिटी smart city के तहत माइनिंग लीगेसी वेस्ट प्लांन्ट bio-mining technology के जरिए होगा। इसका निर्माण बीओटी पर होगा। इस पर 14 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 27.23 एकड़ फैले डम्पिंग यार्ड को पूरी तरह से साफ किया जाएगा। यहां पड़े 2 लाख 20 हजार टन कचरे को पहले प्रोसेस कर हटाया जाएगा। वेस्ट बिल्डिंग मेटेरियल को लैंडफिल में डाला जाएगा। कांच व अन्य आईटम को प्रोसेज कर उपयोग में लिया जाएगा। ठेकेदार यहा बीओटी आधार पर प्लांट लगाएगा। कचरे का निस्तारण करते हुए व कचरे को बेच भी सकेगा। इससे ट्रेचिंग गाउंड में कचरे का जमावड़ा नहीं लगेगा। गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल ने कचरे के निस्तारण के लिए डायरेक्शन जारी कर रखे हैं इनकी पालना अनिवार्य है। वर्तमान में शहर के 60 वार्डो में 250 टन कचरे का उत्पादन बाजारों, आवासीय कॉलोनी व कच्ची बस्ती में प्रतिदिन होता है। यह कचरा नसीराबाद रोड माखूपुरा एरिया ट्रेचिंग ग्राउंड में वर्ष 1997 से डाला जाता है। माखूपुरा डम्पिंग ग्राउंड पहाड़ी एरिया पर है। 15 दिसम्बर 2019 तक डम्पिगं यार्ड में 360542 क्यूबिक मीटर सॉलिड वेस्ट डाला गया। यहां इस कचरे को किसी भी तरह से प्रोसेस नहीं किया जाता। यह कचरा धीरे-धीरे सड़ता है इससे आसपास के क्षेत्र में दुर्गन्ध का वातावरण रहता है। कचरे में कई बार आग लगने से सड़क व क्षेत्र में धुंआ फैल जाता है। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पूर्व में कई बार टेंडर हो चुके हैं निरस्त

डम्पिंग यार्ड में पड़े कचरे तथा शहर में प्रतिदिन उत्पादित होने वाले कचरे के निस्तारण के लिए नगर निगम पूर्व में भी कई बार प्रयास कर चुका है। कचरा निस्तारण प्लांट लगाने के लिए चार बार टेंडर आमंत्रित किए गए लेकिन सफलता नहीं मिली। एक बार दो कम्पनियों ने रूचि भी दर्शाई लेकिन अधिक राशि खर्च होने के कारण नगर निगम प्लांट स्थापित नहीं करवा सका।

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