सेंट एन्सलम्स स्कूल स्थित इमेक्यूलेट कंसेप्शनल चर्च अपनी स्थापत्य कला और भव्यता के लिए मशहूर है। कैथोलिक धर्मावलंबी प्रतिवर्ष क्रिसमस और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इसकी भीतरी डिजाइन, संगमरमर का फर्श, फानूस और अन्य सामग्री नायाब है। इसी सटे भवन में डॉयसिस ऑफ अजमेर के बिशप का निवास है। अजमेर डायसिस की कमान अब तक बिशप कैमाउन्ट, बिशप पायस, बिशप गुइडो, बिशप लियो डिमेलो, बिशप इग्नेशियस मेनेजेस संभाल चुके हैं। अभी बिशप पायस थॉमस डिसूजा हैं।
आगरा गेट स्थित रॉबसन मेमोरियल चर्च भी अपनी उत्कृष्ट शैली के लिए मशहूर है। यह चर्च सौ साल भी पुराना है। यह चर्च ऑफ नॉर्दन इंडिया (सीएनआई) के अधीन है। साथ ही अजमेर के केंद्र बिंदू (जीरो पॉइंट) पर स्थित है। अजमेर की सही मायने में दूरियां आगरा गेट स्थित चर्च से ही मापी जाती हैं। चर्च में प्रोटेस्टेंट धर्मावलंबी क्रिसमस और अन्य समारोह पर कार्यक्रम करते हैं।
जयपुर रोड पर सेंटीनेरी मेथॉडिस्ट चर्च भी सौ साल से ज्यादा पुराना है। यह चर्च अपनी बनावट और आंतरिक साज-सज्जा के लिए मशहूर है। यहां भी क्रिसमस, गुड फ्राइडे और अन्य मौकों पर कार्यक्रम होते हैं। प्रत्येक रविवार को मसीह धर्मावलंबी संडे मास के लिए आते हैं।
भट्टा स्थित अवर लेडी ऑफ सेवन डॉलर्स चर्च सौ साल पुराना है। वर्ष 1913 में फादर फर्डिनेंड इसके पहले पुरोहित बने थे। बाद में फादर साइमन ने चर्च का विस्तार किया। वर्ष 2012-13 में इस चर्च का शताब्दी वर्ष मनाया गया। यहां सोफिया भट्टा हिंदी माध्यम स्कूल संचालित है। इस चर्च का डिजाइन का प्रभु यीशू के क्रॉस की तर्ज पर बनाया गया है।
सेंट मेरीज चर्च तोपदड़ा भी सौ साल से ज्यादा पुराना है। यहां ब्रिटिशकाल के दैारान एंग्लो इंडियन धर्मावलंबी ही आते रहे थे। आजादी के बाद चर्च में अजमेर और आसपास के इलाकों के धर्मालंबियों की आवाजाही शुरू हुई। यह चर्च अपनी आंतरिक सजावट, पुराने फर्नीचर, वुडन रूफ और संगमरमर के कामकाज के लिए काफी प्रसिद्ध है।
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