अजमेर में हैं स्वर्णिम अयोध्यानगरी, 25 वर्ष लगे थे बनने में
जय माखीजा अजमेर. (Ajmer) दिगम्बर जैन (digamber jain) समाज की सोनीजी की नसियां (soni ji ki nasiya)बहुत प्रसिद्ध है। सेठ मूलचंद नेमीचंद सोनी ने इसका निर्माण कराया था। सेठ भागचंद सोनी ने इसका निर्माण पूरा कराया। इसे श्री सिद्धकूट चैत्यालय एवं करौली के लाल पत्थरों से निर्मित होने के कारण लाल मंदिर (red temple) भी कहा जाता है। नसियां में 124 वर्ष पहले निर्मित स्वर्णिम अयोध्या (ayodhya) नगरी सर्वाधिक दर्शनीय है। इस नगरी में भगवान ऋषभदेव के पंच कल्याणक का दृश्यांकन किया गया है। अयोध्या नगरी (ayodhya nagri) में सुमेरू पर्वत का निर्माण जयपुर में कराया गया था। आचार्य जिनसेन द्वारा रचित आदिपुराण पर आधारित है। मूर्तियों में स्वर्ण की परत (work of gold) का प्रयोग किया गया है। नसियां का निर्माण 10 अक्टूबर (october) 1864 में प्रारंभ हुआ था। 1865 में नसियां का निर्माण पूरा हुआ। 1895 में किया गया था स्वर्णिम नगरी का निर्माण। इस स्वर्णिम नगरी को बनने में 25 साल लगे थे। बाद में 1953 में नसियां में मान स्तंभ का निर्माण गया था। यह हैं स्वर्णिम अयोध्या के पंच कल्याणक गर्भ कल्याणक माता मरुदेवी के रात्रि (dreem in night) में 16 स्वप्न देखे थे, जिसके फलानुसार भावी तीर्थंकर का अवतरण अयोध्या में हुआ। इसमें देवविमान और माता के स्वप्न दर्शाए गए हैं। जन्म कल्याणक ऋषभदेव के जन्म पर इंद्र के आसन कंपायमान होने, ऐरावत हाथी पर बालक ऋषभदेव को सुमेरू पर्वत ले जाने, पांडुकशिला पर अभिषेक और देवों की शोभायात्रा को दर्शाया गया है। तप कल्याणक महाराज ऋषभदेव के दरबार में अप्सरा नीलांजना का नृत्य, ऋषभदेव के संसार त्याग कर दिगम्बर मुनि बनने और केशलौचन को दर्शाया गया है। केवलज्ञान कल्याणक हजार वर्ष की तपस्या में लीन ऋषभदेव, कैलाश पर्वत पर केवल ज्ञान प्राप्ति, राजा श्रेयांस द्वारा मुनि ऋषभदेव को प्रथम आहार को दर्शाया गया है। मोक्ष कल्याणक भगवान ऋषभदेव का कैलाश पर्वत से निर्वाण का स्वर्ण कमल दृश्य, पुत्र भरत द्वारा 72 स्वर्णिम मंदिर को दर्शाया गया है।
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