अजमेर में डेयरी की शुरुआत 1972 में हुई थी। सिविल लाइन में एक प्राइवेट प्रॉपर्टी पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी। वर्ष 1975-76 में शहर के बाहरी क्षेत्र दौराई में 25 हजार एमएलडी का प्लांट लगाया गया। बाद में इसकी क्षमता 50 हजार एमएलडी कर दिया गया। वर्ष 1980 में प्लांट की क्षमता को 1 लाख लीटर कर दिया गया।
शुरू में दूध केन में आता था। दुहारी से लेकर दूध के डेयरी तक पहुंचने में 6-7 घंटे लग जाते थे। कुछ साल पहले डेयरी ने बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) लगाने का अभियान शुरू किया। इसके तहत सिस्टम केन लेस होने के साथ ही सिस्टम कोल्ड चेन से जुड़ गया। गांव से बीएमसी के जरिए ठंडा दूध इंसुलेटेड टैंकर के जरिए डेयरी आता है।
दूध में मिलावट रोकने के लिए अजमेर डेयरी ने 276 मिल्को मशीन बीएमसी पर लगा रखी हैं। मिल्को मशीन के जरिए दूध में मिलावट, फैट, एसएनएफ की जांच होती है। दूध में फैट/वेजीटेबल ऑयल की मिलावट को रोकने के लिए डिजीटल बीआर मीटर लगाए गए हैं।
इनका कहना है… अजमेर डेयरी का ध्येय दूध की गुणवत्ता है। प्रतिदिन अजमेर डेयरी से दिल्ली को 60 हजार लीटर दूध भेजा जा रहा है। जिससे डेयरी को अच्छी आय हो रही है।
-गुलाब भाटिया, एमडी, अजमेर डेयरी