सरकार को उदयपुर के नाल हवाई अड्डे airports की बकाया लीज के पेटे 239 करोड़ रुपए मिलने थे। लेकिन अब सरकार के जमीन आवंटन ही खारिज कर देने से यह राशि नहीं वसूली जा सकेगी। इसी तरह उदयपुर के डबोक हवाई अड्डे पर बकाया 22 करोड़ 80 हजार रुपए में से19 करोड़ 55 लाख रुपए माफ कर दिए गए हैं। जिससे डबोक हवाई अड्डे से केवल 3 करोड़ 25 लाख रुपए की लीज राशि ही मिलेगी। जबकि इन दोनों हवाई अड्डों से करीब 260 करोड़ crore रुपए मिलने थे अब लीज के रूप में यह राशि नहीं मिलेगी।
रेलवे : नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे गिर्वा पर बकाया 14 करोड़ का मामला हाइकोर्ट में लम्बित चल रहा है। पूर्व में चेयरमैन ने सेटलमेंट का रास्ता निकाल कर जिला कलक्टर को प्रभारी बनाया था। लेकिन बकाया लीज मनी जमा नहीं हुई। बीकानेर रेलवे पर 1.7 करोड़ रुपए की लीज मनी बकाया है।
रिफायनरी : इसी तरह एचपीसीएल का 86 करोड़ का लीज मनी बकाया चल रहा है। राजस्थान रिफायनरी कम्पनी लिमिटेड (आरआरसीएल) के इस प्रोजेक्ट को एचपीसीएल चला रहा है। एचपीसीएल ने पिछले साल 66 करोड़ की लीज जमा करवाई थी।
बिजली कम्पनियां : बिजली कम्पनियों पर सरकार की 59 करोड़ की लीज राशि बकाया है। कई जगहों पर लीज राशि को लेकर विवाद भी चल रहा हैं। 14 करोड़ का बकाया बूंदी के केशवराय पाटन में है। अजमेर डिस्कॉम पर 3 करोड़,जोधुपर डिस्कॉम पर 4 करोड़ व जयपुर डिस्कॉम पर साढ़े 5 करोड़ का बकाया है। पिछले साल बिजली कम्पनियों ने लीज मनी जमा नहीं करवाई है।
सिंचाई कर : सरकार ने मुख्य व मध्यम सिंचाई परियोजना के पेटे 2 करोड़ 45 लाख 81 हजार का लक्ष्य दिया है। इसमें से अभी तक केवल 25.25 लाख रुपए के साथ केवल 10.28 प्रतिशत राशि की ही वसूली हो सकी है। इसमें 22 लाख मेजर इरिगेशन (इंदिरा गांधी नहर कोटा), 90 लाख मीडियम इरिगेशन तथा 65 लाख रुपए माइनर इरिगेशन के पेटे वसूले जाने हैं।