अंतिम संस्कार 1 को, मास्क पहनना अनिवार्य संत हरिप्रसाद स्वामी का अंतिम संस्कार आगामी 1 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे किया जाएगा। उनकी पार्थिव देह के दर्शन बुधवार से आगामी 31 जुलाई तक किए जा सकेंगे। अंतिम दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को अनिवार्य तौर पर मास्क पहनना होगा। हालांकि अंतिम दर्शन करने के लिए मंगलवार को भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे। देश-विदेश से भी भक्त अंतिम दर्शन के लिए पहुंचेंगे।
किडनी की बीमारी से थे पीडि़त
संत हरिप्रसाद स्वामी की तबियत ठीक नहीं रहने के कारण उनकी सामान्य जांच संतों की ओर से की करवाई जाती थी। किडनी की बीमारी और सांस लेने में परेशानी के कारण उन्हें सोमवार शाम को भाईलाल अस्पताल लाया गया। सोमवार रात को तबियत बिगडऩे पर चिकित्सकों ने उपचार शुरू किया लेकिन सोमवार देर रात उन्होंने देह त्याग दी। उनके निधन का समाचार सुनकर देश-विदेश के भक्तों में शोक व्याप्त हो गया।
बीएसपीएस संप्रदाय के संत प्रमुख स्वामी महाराज के गुरु भाई थे वर्ष 1935 में 23 मई को जन्मे संत हरिप्रसाद स्वामी बीएपीएस संप्रदाय के संत प्रमुख स्वामी महाराज के गुरु भाई थे। पिछली 23 मई को उनका 88वां जन्मदिन मनाया गया था। देश-विदेश में बड़ी संख्या में उनके अनुयायी हैं। मंदिर के एक संत के अनुसार उनके कार्य देश-विदेश में जाने जाते हंैं।
गुरु पूर्णिमा पर संतों ने किया था पूजन
हाल ही गुरु पूर्णिमा पर संतों ने संत हरिप्रसाद स्वामी का पूजन किया था। उन्होंने सभी संतों को आशीर्वाद स्वरूप टीका लगाया था। अगले दिन डायलिसिस के दौरान पल्स रेट कम-ज्यादा हुई। उसके बाद अगले दिन सांस लेने में परेशानी हुई।
एक किलोमीटर के मार्ग में बिछाई गुलाब की पत्तियां संत हरिप्रसाद स्वामी के निधन का समाचार सुनकर बड़ी संख्या में भक्तगण अस्पताल के बाहर पहुंचने शुरू हो गए। उनके पार्थिव शरीर को गोरवा क्षेत्र स्थित अस्पताल से मंगलवार सवेरे सोखडा स्थित मंदिर तक पहुंचाने के मार्ग में एक किलोमीटर दूरी तक भक्तों ने गुलाब की पत्तियां बिछाई। पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए भक्त अनुशासित ढंग से खड़े दिखाई दिए।
दास का दास बनकर जीने का वाक्य उतारा जीवन में : गौरांग हरिभक्त गौरांगभाई के अनुसार संत हरिप्रसाद स्वामी हमसे कभी दूर नहीं थे, अब भी दूर नहीं गए हैं। वे हमेशा कहते थे कि प्रकट संत नहीं हैं, वे हमेशा अखंड रहेंगे, हरिभक्तों की आत्मा में रहेंगे। हमें जो नियम बताए हैं उनमें एकता से रहने, दास का दास बनकर जीने का वाक्य जीवन में उतारे हैं। इन वाक्यों के साथ अब जीवन जीना है, आत्मा के मावतर (माता-पिता) खोए हैं, उनकी कमी पूरी करना असंभव है।
जीने की दिखाई राह : यस्मीन एक भक्त यस्मीन पटेल के अनुसार माता-पिता ने जन्म दिया लेकिन संत हरिप्रसाद स्वामी ने जीने की राह दिखाई। उनकी दिखाई एकता की राह पर जीवनभर चलेंगे।
लगा भारी आघात : अमरीश एक अन्य भक्त अमरीश ठक्कर के अनुसार संत हरिप्रसाद स्वामी के अंतरध्यान होने का सोमवार देर रात को समाचार मिलने पर भारी आघात लगा। स्वयं को भाग्यशाली मानते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे संत मिले, उनका आर्शीवाद स्थायी तौर पर रहेगा।
मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि गांधीनगर/वडोदरा. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने योगी डिवाइन सोसाइटी के अध्यक्ष और आत्मीय समाज, आत्मीय विश्वविद्यालय के संस्थापक हरिप्रसाद स्वामी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए परमधाम गमन करने पर श्रद्धांजलि दी है।
शोक संदेश में कहा कि युवाओं में नशा मुक्ति, शिक्षा व्यवस्था के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ आध्यात्मिकता व समाज के प्रति समर्पित होने का सेवा भाव उजागर करने में आजीवन सेवारत रहकर हरिप्रसाद स्वामी का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। देह विलय व परमधाम गमन से लाखों शोकमग्न अनुयायियों के दुख में सहभागी होकर मुख्यमंत्री ने स्वामी की आत्मा की परम शांति के लिए प्रार्थना की है।