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अहमदाबाद

गुजरात: पावागढ़ पर्वत पर विराजमान महाकाली माताजी का पौराणिक मंदिर

51 शक्तिपीठ में शामिल – काली यंत्र की करते हैं पूजा – मंदिर में तीन दैवी की मूर्तियां
 

अहमदाबादOct 22, 2023 / 10:41 pm

Rajesh Bhatnagar

गुजरात: पावागढ़ पर्वत पर विराजमान महाकाली माताजी का पौराणिक मंदिर

गुजरात: पावागढ़ पर्वत पर विराजमान महाकाली माताजी का पौराणिक मंदिर

विवेक त्रिवेदी

गोधरा. पंचमहाल जिले की हालोल तहसील में पावागढ़ पर्वत पर विराजमान महाकाली माताजी का पौराणिक मंदिर 51 शक्तिपीठ में शामिल है। यहां काली यंत्र की पूजा की जाती है।
10वीं-11वीं शताब्दी का कालिका माता क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है। देवी काली के सम्मान में नामित इस मंदिर को मां काली का निवास स्थान माना जाता है और यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि देवी सती का प्रतीकात्मक अंगूठा यहां गिरा था।
मंदिर में तीन दिव्य मूर्तियां हैं। बीच में कालिका माता, दाईं ओर महाकाली और बाईं ओर बहुचरा माता विराजमान हैं। चैत्री नवरात्रि और आसोज नवरात्रि के दौरान महाकाली माताजी के दर्शन करने की महिमा है। नवरात्रि में यहां करीब 50 लाख भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हर साल गुजरात के पावागढ़, वडोदरा, सूरत, सौराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित पड़ोसी और अन्य राज्यों के लाखों भक्त मंदिर मेंं दर्शन करने आतेे हैं।
मंदिर का इतिहास

1961 में गुजरात के मेलों और त्यौहारों की प्रकाशित पुस्तक में आर.के. त्रिवेदी के अनुसार देवी कालिका माता की पूजा शुरू में स्थानीय भीलों और कोलियों की ओर से की जाती थी। एक मान्यता के अनुसार पावागढ़ की कालिका माता की पूजा आदिवासियों की ओर से भी की जाती है। मंदिर का वर्णन 15वीं सदी के नाटक गंगादास प्रताप विलासा नाटक में किया गया है। देवी काली के सम्मान में नामित इस मंदिर को मां काली का निवास स्थान माना जाता है और यह शक्तिपीठों में से एक है, क्योंकि कहा जाता है कि देवी सती का प्रतीकात्मक अंगूठा यहां गिरा था। ऋषि विश्वामित्र ने भी महाकाली माताजी को प्रसन्न करने के लिए पावागढ़ पहाड़ी की तलहटी में कठोर तपस्या की थी। पावागढ़ विश्वामित्री नदी का स्रोत भी है। महाकाली माताजी को ऋषि विश्वामित्र ने बुलाया और पावागढ़ पर्वत शिखर पर स्थापित किया।
मंदिर के साथ जुड़ी है एक किंवदंती

इस मंदिर के साथ एक किंवदंती जुड़ी हुई है, इसके अनुसार एक बार नवरात्रि के दौरान पारंपरिक नृत्य गरबा का आयोजन किया गया। जहां सैकड़ों भक्त एकत्र हुए और देवी की भक्ति में नृत्य किया। ऐसी निश्छल भक्ति को देखकर, देवी मस्वयं एक स्थानीय महिला के भेष में भक्तों के बीच आईं और उनके साथ नृत्य किया। इस दौरान उस राज्य के पूर्व राजा भी भक्तों के साथ नृत्य कर रहे थे, वे देवी की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गए। राजा ने देवी का हाथ पकड़ लिया और अनुचित प्रस्ताव रखा। देवी ने हाथ छोड़ने और माफी मांगने के लिए तीन बार चेतावनी दी, लेकिन पूर्व राजा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उस समय देवी महाकाली ने शाप दिया कि उसका राज्य नष्ट हो जाएगा। जल्द ही एक मुस्लिम आक्रमणकारी महमूद बेगड़ा ने राज्य पर आक्रमण किया। पूर्व राजा लड़ाई हार गए और महमूद बेगड़ा के हाथों उनका निधन हो गया।
500 साल बाद 2022 में पीएम नरेंद्र मोदी ने मंदिर के नए शिखर पर किया ध्वजारोहण

गुंबददार मंदिर की चट्टान पर एक मुस्लिम धार्मिक स्थल और सूफी संत सदन शाह पीर का मकबरा भी था, जिसे 2022 में मंदिर के पुनर्विकास के बाद दरगाह के करीब ले जाया गया और मंदिर का एक नया शिखर तैयार किया गया। पावागढ़ के विकास कार्यों में महाकाली मंदिर को भव्य रूप दिया गया है, लेकिन गर्भगृह का मूल स्वरूप वही बना हुआ है। मांची से पावागढ़ तक पहुंचने के लिए उड़नखटोले की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उसके बाद पावागढ़ आने वाले यात्रियों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 साल और देश की आजादी के 75 साल बाद पावागढ़ मंदिर के पुनर्विकास के पश्चात नए स्वर्ण शिखर पर 18 जून 2022 को ध्वजारोहण किया था।
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