कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों से इस दौरान एक चार्ट फाइल करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें आरोपियों की ओर से जेल में बिताए गए समय और उन्हें दी गई सजा की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन दोषियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए पीठ को बताया कि हम कोशिश करेंगे कि दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। यह रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामला है जहां 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। ट्रेन के डिब्बे को बाहर से बंद किया गया और उसमें आग लगा दी गई। जिससे 59 लोगों की मौत हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दोषी राज्य की नीति के अनुसार समय से पहले रिहाई के पात्र नहीं हैं क्योंकि उनके खिलाफ टाडा प्रावधानों को लागू किया गया था।
ट्रायल कोर्ट ने 11 को फांसी, 20 अन्य को सुनाई थी उम्र कैद की सजा इस मामले में मार्च 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 11 दोषियों को मौत की सजा और 20 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई थी वहीं 63 अन्य को बरी कर दिया था।
हाईकोर्ट ने 11 की फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील की ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 में इस मामले में कुल 31 को दोषी ठहराया था जिसमें से हाईकोर्ट ने 11 आरोपियों की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया वहीं 20 अन्य को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।
गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे को आग लगा दी गई थी जिसमें 59 कार सेवकों की मौत हो गई थी। इसके बाद राज्य भर में दंगे भड़क उठे थे।
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 11 दोषियों को मौत की सजा देने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड के दो दोषियों को जमानत दे दी है वहीं सात और जमानत याचिकाएं अभी लंबित हैं।