नम्रता मिश्रा प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल, दयालबाद में पोक्सो एक्ट पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। बाल यौन शोषण एवं अपराध के प्रति लोगों में संवेदनशीलता जगाने के उद्देश्य से नम्रता जी अब तक 150 से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन कर चुकी हैं। वे प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल में पॉक्सो एक्ट पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने बताया कि निर्भया कांड के उपरान्त भारत में इस तरह के अपराध पर कानून बहुत सख्त हो गया है। 2018 में पोक्सो एक्ट में संशोधन करके 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे के साथ यौन अपराध पर फाँसी की सजा का प्रावधान किया गया है। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ यौन अपराध के लिए उम्रकैद की सजा दी जाती है और पोक्सो के अंतर्गत उम्रकैद की सजा का अर्थ आजीवन कैद है। कार्यशाला के माध्यम से यह संवेदना जगाने का सफल प्रयास किया गया कि हम सब किस प्रकार सचेत रहकर अपने आस-पास रहने वाले बच्चों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। कोई भी गलत कृत्य होने पर तुरंत पुलिस में सूचना दें। ऐसा अपराध छिपाना भी अपराध है। भारत सरकार द्वारा बाल संरक्षण के लिए हेल्पलाइन नम्बर 1098 जारी किया गया है।
प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ. सुशील गुप्ता ने स्मृति चिह्न देकर नम्रता मिश्रा का अभिनंदन किया। उन्होंने बताया कि आज समाज में चारों तरफ निरंतर बढ़ रही बाल एवं महिला अपराध की घटनाएँ हृदय को हिला देती हैं। जब-तब समाचार पत्र ऐसी घटनाओं से भरे रहते हैं। किस तरह इनसे निपटा जाए एवं इनकी रोकथाम की जाए, इस सभी से विद्यालय के शिक्षक वर्ग एवं सहायक कर्मियों को परिचित कराने के लिए पोक्सो अधिनियम की कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का संचालन करते हुए श्रीमती बबिता रानी ने सभी का कार्यशाला में स्वागत किया। सर्वप्रथम विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती याचना चावला ने पर्यावरण के प्रति सजगता का प्रतीक नवांकुर भेंट कर नम्रता का अभिनंदन किया। प्राचार्या ने अपने स्वागत भाषण में सभी को इस विषय पर कार्यशाला के आयोजन की आवश्यकता का उद्देश्य बताते हुए बच्चों के प्रति होने वाले यौन उत्पीड़न के प्रति सजग रहने को कहा।