माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की मां लक्ष्मी आसमान में विचरण करती हैं और पूछती हैं ‘को जाग्रति’? ये संस्कृत शब्द है, इसका हिंदी में अर्थ है कि ‘कौन जागा हुआ है’? इस दौरान जाग रहे लोगों को मां लक्ष्मी धन, संपत्ति और वैभव का वरदान देती हैं। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा को कई जगहों पर कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
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ये है व्रत विधिसबसे पहले दिन में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और हाथ में दक्षिणा, अक्षत और पुष्प रखकर दिन भर व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा के स्थान पर पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी मां लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढककर पूजा करें। प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पुष्प हाथों में लेकर माता का आवाह्न करें। मां कीप्रतिमा को पंचामृत और फिर जल अर्पित करें। इसके बाद मां को पुष्प, ऋतुफल और नैवेद्य अर्पित करें। उनकी आरती उतारें। शाम को खीर बनाकर रात के समय चंद्रमा के नीचे रखें व 11 दीपक जलाएं। इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती उतारें। रात 12 बजे सबसे पहले मां लक्ष्मी को चांद की रोशनी में रखी खीर का भोग लगाएं। इसके बाद खीर को घर के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में बांटें व स्वयं भी खाएं।