भाजपा सांसद और एससी आयोग के अध्यक्ष डॉ.रामशंकर कठेरिया ने सूरसदन में अपने सम्मान समारोह में अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अमुवि को 7000 करोड़ रुपया देती है। अमुवि में दलितों और पिछड़ों को आरक्षण नहीं मिल रहा है। 1968 में अमुवि के लिए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों ने कहा कि अमुवि अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है बल्कि केंद्रीय विश्वविद्यालय है। अमुवि ने 14 से 15 लाख दलित और पिछड़ों को शिक्षा ही नहीं दी। संविधान में गरीब पिछड़े और मजदूरों के लिए आरक्षण की सुविधा है। लेकिन, अमुवि में गरीबों और दलितों को आरक्षण नहीं मिला। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अमुवि में यदि दलितों और पिछड़ों को आरक्षण नहीं मिला तो अमुवि की ग्रांट बंद हो जाएगी। अमुवि पाकिस्तान में नहीं हिंदुस्तान में हैं।
एससी आयोग अध्यक्ष ने मायावती को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मायावती दलितों को गुलाम समझती हैं। मायावती ने एससी एसटी एक्ट में संसोधन किया। वही संसोधन जब सुप्रीम कोर्ट ने किया तो मायावती ने राजनीति की। डॉ.कठेरिया ने मायावती को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर अमुवि पर मायावती बात उठाएं तो वे माया के पिछल्लागू बन जाएंगे।
कार्यक्रम में महापौर नवीन जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष राकेश बघेल, विधायक डॉ.जीएस धर्मेश, हेमलता दिवाकर, जिलाध्यक्ष श्याम भदौरिया, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, अनिल चौधरी, रश्मि सिंह धाकड, जेपी धनगर पूर्व मंत्री रामबाबू हरित, डॉ.भगवान दास दक्ष, कमल वाल्मीकि, चंद्र प्रकाश सोनी, शरद चौहान, प्रदीप अग्रवाल आदि मौजूद रहे।