व्यापारी नेता मनोज गुप्ता ने बताया कि केन्द्र सरकार ने जीएसटी लगाया, सबसे बड़ी खामी ये रही कि व्यापारियों को पूरी तरह नियम ही नहीं समझाए गए, कि व्यापारियों को जीएसटी में किस तरह काम करना है। क्योंकि वेट की प्रणाली में और जीएसटी की प्रणाली में बहुत बड़ा अंतर है। जीएसटी प्रणाली पूरी तरह तकनीकि पर आधारित है और तमाम व्यापारी ऐसे होते हैं, जो कम पढ़े लिखे होते हैं। उन सभी व्यापारियों को अपना रिर्टन दाखिल करने के लिए दिक्कत का सामना करना पड़ा, जिससे उनका व्यापार प्रभावित हुआ।
सबसे बड़ी समस्या जो आज वर्तमान में है, जब व्यापारी जीएसटी में अपना रिर्टन दाखिल करते हैं महीने के अंत में, चूंकि इनका तीकनीकि सिस्टम सही नहीं हैं और ये पूरी तरह तैयार नहीं हैं। रिर्टन दाखिल करते समय लोड हो जाता है और व्यापारियों के रिर्टन दाखिल नहीं होते हैं और रिर्टन दाखिल न होने के चलते लोगों के रिफंड फंस जाते हैं और रिफंड न मिलने से उनका व्यापार प्रभावित होता है। क्योंकि रिफंड की पूंजी अच्छी तादात में होती है। मानना ये है कि 40 से 50 फीसद भी लोगों का रिफंड रहता है। उस मामले में अभी तक सरकार ने कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की। सरकार को तकनीकि सिस्टम सही करना चाहिए, जिससे व्यापारियों को ये दिक्कत न हो।
दूसरी बड़ी समस्या ये आ रही है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है, ऐसे में एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भाड़ा बढ़ने से जीएसटी की दरें जो सभी प्रदेशों में समान होती हैं, उनमें फर्क आ जाता है। फर्क आने से व्यापारियों का व्यापार प्रभावित हो रहा है। क्योंकि जहां डीजल पैट्रोल का रेट कम हैं, वहां व्यापारी सस्ता माल बेच रहा है और दूसरे राज्य के व्यापारी नहीं बेच पाते हैं। वहीं उस प्रदेश के व्यापारी जब दूसरे स्टेट में माल बेचते हैं, तो उन्हें भी समस्या आती है।