आगरा में संस्थापक परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज के द्विशताब्दी जन्म समारोह मनाया जा रहा है। यहां पाकिस्तान के सिंध प्रांत से 170 सत्संगियों का जत्था आगरा आया है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का असर अब अधिक है। यहां पहुंचे सत्संगियों ने बताया कि बाधाएं बहुत थीं, उनको वीजा मिलने में सवा दो महीने का लंबा समय लग गया। कुछ साल पहले समूह (जत्थे) का वीजा आसानी से मिल जाता था। अब दिक्कत आती है। पहले तमाम जांच होती हैं, तब वीजा दिया जाता है। इनमें बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं शामिल हैं। ये लोग सिंध से पहले लाहौर पहुंचे। इसमें 17 घंटे लगे। लाहौर से आगरा पहुंचने में 16 घंटे का सफर रहा। अटारी बार्डर को पैदल पार करना पड़ा।
स्वामीबाग में समाधि के लिए कलश तैयार कराए गए थे। इन पर 155 किलोग्राम सोने की परत कलश पर चढ़ाई गई है। यह कलश दुनिया भर के स्मारकों और धार्मिक स्थल पर लगे कलश में से एक होगा। इस समाधि का निर्माण सालों से चल रहा है। राधास्वामी मत के तीसरे गुरु बाबूजी महाराज ने साल 1928 में कलश का जो डिजाइन बनाया था, उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। तब समाध निर्माण में सहयोगी भंवरलाल व लाला तोताराम थे। सात खंड का यह स्वर्ण कलश 31.3 फुट ऊंचा है। कलश शुक्रवार तक स्थापित कर लिए जाएंगे। इस समाधिस्थल पर कलश की स्थापना होता देख कई श्रद्धालु इसके फोटो और वीडियो बनाने पहुंच रहे हैं। समाधि स्थल पर पिछले कई सालों से लगातार काम जारी है।