Social Media पर साहित्यिक क्रांति के जनक कुंवर अनुराग, कर रहे अनूठे काम, देखें वीडियो
-साहित्य को किताबों से निकालकर सोशल मीडिया पर लाए कुंवर अनुराग
-वॉट्सऐप पर National W&C Forum समूह ने मचा रखी है धूम
-हर रविवार को एक साहित्यकार की उपलब्धियों से परिचित कराया जाता है
-फेसबुक के माध्यम से 800 काव्य चोरों के नाम उजागर कर चुके हैं
-ताज महोत्सव में कवि सम्मेलन का संयोजन व्यक्ति की जगह संस्था को दिलाया
आगरा। कहते हैं साहित्य (literature) समाज (Society) का दर्पण होता है। साहित्य को किताबों (Books) से बाहर सोशल मीडिया (Social media) पर लाने के अभियान चला रहे हैं कवि कुंवर अनुराग (kunwar anurag)। उन्होंने वॉट्सऐप (Whatsapp) पर एक समूह बनाया है, जिसका नाम है नेशनल राइटर्स एंड कल्चरल फोरम (National W&C Forum)। इसमें देशभर के प्रख्यात साहित्यकार हैं। प्रति सप्ताह किसी न किसी साहित्यकार का पूरा जीवन परिचय प्रकाशित किया जाता है। सामयिक विषयों पर कविगण नित नई रचनाएँ करते रहते हैं। साहित्य की चोरी रोकने के लिए फेसबुक (Facebook) पर काव्य जागृति (काव्य चोरों का डेटा बेस) समूह बनाया है। इसमें साहित्य की चोरी करने वालों का नाम सार्वजनिक किया जाता है। साप्ताहिक ई-पत्रिका ‘स्पंदन- हृदय से हृदय तक’ का संपादन कर रहे हैं। जर्मन भाषा के कई नाटकों का लेखन, निर्देशन व अभिनय किया है। कविता, ग़ज़ल, हाइकू, मायरा, कहानी, लघुकथा, आलेख, व्यंग्य लेखन, नाटक लेखन नियमित रूप से करते हैं। भारत के राष्ट्रीय मंचीय कवियों की शीर्ष समिति ‘कवि सम्मेलन समिति’ और राष्ट्रीय व्यंग्यकारों की शीर्ष संस्था ‘व्यंग्य यात्रा’ के सक्रिय सदस्य हैं। उनकी चार पंक्तियां देखिए- साहिलों से कह दो मुझे उनकी परवाह नहीं, मेरी दोस्ती तो तूफानों से है, मुश्किलें कितनी भी हों हम रुकने के नहीं कायल, हौसला हमारा ऊंची उड़ानों से है। पत्रिका के विशेष कार्यक्रम परसन ऑफ द वीक (Person of the week) के तहत हमने बातचीत की कुंवर अनुराग से।
साहित्य जगत में क्रांति कुंवर अनुराग व्यवसाय से टुअर ऑपरेटर हैं, लेकिन हृदय से कवि हैं। हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, जर्मन व फ्रेंच भाषा के ज्ञाता हैं। वॉट्सऐप पर नेशनल राइटर्स व कल्चरल फोरम समूह के माध्यम से उन्होंने साहित्य जगत में क्रांति ही कर दी है। यह ऐसा समूह है, जिसमें कवि एकदूसरे की रचनाओं से भिज्ञ होते हैं। सबसे बड़ी बात है कि देशभर में हो रही घटनाओं के बारे में साहित्यकार क्या सोचते हैं, यह भी परिलक्षित होता है। इसी समूह में ‘परिवार को जानें’ श्रृंखला के अंतर्गत भारतीय साहित्यिक व सांस्कृतिक जगत की विभूतियों के जीवनवृत्त व उनकी साहित्यिक व सांस्कृतिक यात्रा का नियमित प्रसारण कर रहे हैं।
काव्यचोरों को बेनकाब किया सोशल मीडिया पर काव्य व साहित्य चोरों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी वृहद अभियान “काव्य जागृति (काव्य चोरों का डेटाबेस)” संस्था के माध्यम से छेड़ रखा है। अब तक करीबन 800 काव्य चोरों के नाम उजागर करके, उनकी फेसबुक आईडी को सामूहिक रूप से ब्लॉक करवा चुके हैं। ऐसे प्रोफाइल की फेसबुक को रिपोर्ट की है। ऐसे चोरों के विरुद्ध सोशल मीडिया पर वृहद अभियान चला रहे हैं।
ताज महोत्सव और कवि सम्मेलन पद्मभूषण गोपालदास नीरज को भारत रत्न दिलवाने के लिए वृहद अभियान और याचिका प्रस्तुत करके चर्चा में आ चुके हैं। आगरा राइटर्स क्लब संस्था के माध्यम से ताज महोत्सव में होने वाले कवि सम्मेलन में स्थानीय प्रशासन की मनमानी को रोकने का अभियान चलाया। कार्यक्रम का संयोजन किसी व्यक्ति विशेष को न देकर किसी निष्पक्ष संस्था को देने व स्थानीय कवियों की सहभागिता के लिए वृहद अभियान छेड़ा। इस अभियान के कारण ही प्रशासन ने कवि सम्मेलन का आयोजन आकाशवाणी आगरा को दिया। कार्यक्रम में स्थानीय कवियों को 60 प्रतिशत की सहभागिता भी दी। पत्रिका ने कुंवर अनुराग से जाना भविष्य की योजनाओं के बारे में।
पत्रिकाः साहित्य को सोशल मीडिया पर लाने का विचार कैसे आया? कुंवर अनुरागः पुराना जमाना कुछ और था और आज का जमाना कुछ और है। सोशल मीडिया का जमाना है। हर कोई वॉट्सऐप और फेसबुक से जुड़ा हुआ है। अपनी रचनाएं भी पोस्ट करते रहते हैं। अब संपर्क बहुत आसान हो गया है। फिर विचार आया कि जो नामचीन साहित्यकार एक दूसरे से परिचत नहीं हैं, उन्हें क्यों न एक मंच पर लाया जाए। हमारी संस्था साहित्य के साथ संस्कृति और संगीत के क्षेत्र में भी काम करती है।
पत्रिकाः सोशल मीडिया पर साहित्य अस्थाई है, अभी है और एक घंटे बाद नहीं है। फिर क्या महत्ता है इसकी? कुंवर अनुरागः वो जमाना चला गया जब किताबों के पीछे दीवानगी होती थी। हमारी कोशिश है कि सोशल मीडिया के सहारे साहित्यकारों की किताबों को प्रोमोट करें। सोशल मीडिया ऐसी चीज है, जिस पर आप पोस्ट करते हैं, तो वह कभी जाता नहीं है। एक दूसरे को जानने का इससे अच्छा माध्यम कोई हो नहीं सकता है।
पत्रिकाः संस्था के माध्यम से पिछले हफ्ते क्या-क्या गतिविधियां कर चुके हैं? कुंवर अनुरागः परिवार को जानें के तहत संस्था के सदस्यों की साहित्यिक और सांस्कृतिक जीवन यात्रा से सबको परिचत कराते हैं। बचपन से लेकर अब तक की पूरी कहानी बताते हैं। संस्थाओं द्वारा सम्मान तो बहुत दे दिए जाते हैं और लोग उसी सम्मान के बारे में जान पाते हैं, पूरे जीवन की यात्रा के बारे में नहीं जान पाते हैं। इसीलिए भारत में पहली बार हमने अनूठी पहल की है।
पत्रिकाः साहित्य चोरों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू किया है क्या? कुंवर अनुरागः जी हां, इसके पीछे एक रोचक घटना है। दो साल पहले मैंने अपनी बेटी के लिए बड़ी भावुक कविता लिखी और फेसबुक पर पोस्ट किया था। कविता का सृजन करते समय मेरे आंसू बहने लगे थे। दो दिन बाद ही वही कविता दूसरे फेसबुक प्रोफाइल पर देखी। मुझे अत्यंत दुख और क्रोध हुआ। मैंने प्रोफाइल को ब्लॉक किया। फिर मैंने फेसबुक पर “काव्य जागृति (काव्य चोरों का डेटाबेस) ग्रुप बनाया। यह अपने आप में अनूठी पहल है। अब तक 800 साहित्य चोरों को बेनकाब किया है। उनकी फेसबुक आईडी बंद कराई हैं।
पत्रिकाः साहित्य की दृष्टि से आगे की क्या प्लानिंग है? कुंवर अनुरागः संस्था को वृहद रूप देना है। राष्ट्रव्यापारी अनूठी संस्था होगी जो साहित्य, संस्कृति और संगीत के लिए काम करेगी। पत्रिकाः अपनी कोई प्रसिद्ध कविता सुनाइए?
कुंवर अनुरागः मैं ऐसा कवि हूं, जिसे कविताएं याद नहीं रहती हैं। पढ़कर सुनाता हूं- जिन्दगी गुलजार है ऐ दोस्त तेरे आने से वरना हर मंजर में बस तन्हाई और वीराने थे
हवाओ, फिजाओ, बरसती घटाओ है मौसम गुलाबी उन्हें फिर बुलाओ गुजारिश है दिल की न इतना सताओ तरसता है ये मन न अब तुम रुलाओ है बेकल ये दिल नजर तो मिलाओ
‘कुंवर’ की ये उलझन न अब तुम बढ़ाओ।
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