क्यों मनाया जाता है कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवाें के बीच हुए धर्म युद्ध में अर्जुन के रथ पर भी ध्वज पताका थी। ध्वज को धर्म की अधर्म पर विजय की प्रेरणा के तौर पर माना जाता है। ध्वज कर्तव्य का पाठ और मूल्यों के लिए संघर्ष, समर्पण सिखाता है। चूंकि पुलिस या सेना भी समाज में बुराई को दंंडित कराने और अच्छाई जीवित रखने के लिए, बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए कार्य करती है इसीलिए पुलिस को उनके शौर्य के लिए सम्मानित करते हुए 23 नवम्बर 1952 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश पुलिस को ‘पुलिस कलर’ (पुलिस ध्वज) प्रदान किया था। इसी दिन पीएसी को भी ध्वज प्रदान किया गया था।
लखनऊ पुलिस लाइन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यह ध्वज यूपी पुलिस एवं पीएसी को प्रदान किए। तबसे उत्तर प्रदेश पुलिस 23 नवंबर को अपने लिए गौरवशाली दिन के रूप में मनाती है। इस दिन पुलिस मुख्यालयों व कार्यालयों, पीएसी वाहिनियों, क्वार्टर गार्द, थानों, भवनों व कैम्पों पर पुलिस ध्वज फहराए जाते हैं। पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पुलिस ध्वज का प्रतीक (पुलिस कलर स्टीकर) वर्दी की बांई जेब के ऊपर लगाया जाता है। प्रदेश के डीजीपी मुख्यमंत्री के सीने पर पुलिस कलर लगा कर बधाई देते हैं। इस दीन डीजीपी का संदेश प्रदेश भर में जिला स्तर पर सभी अधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थों को सुनाया जाता है। आगरा में भी डीआईजी लव कुमार ने पुलिस लाइन में पुलिस ध्वज का अभिवादन कर समस्त अधिकारी/कर्मचारियों को डीजीपी यूपी का संदेश पढ़कर सुनाया व यूपी पुलिस के शौर्य, कर्तव्यनिष्ठा का संदेश देकर पुनः कृतसंकल्पित किया।