जब भी करवाचौथ का त्योहार आता है कुकरसा गांव में महिलाएं मातम मनाती हैं। पड़ोस की कोई नई नवेली बहू ये व्रत रहे तो वे खुद के भाग्य को कोसती हैं। महिलाओं के अनुसार ये कोई श्राप नहीं है बल्कि पत्थर की खदान का काम उनके इस जीवन का जिम्मेदार है। पत्थर की खदान का काम करने से कम उम्र में पुरुषों को सिलिकोसिस नामक बीमारी हो जाती है। धीरे धीरे ये बीमारी उनके शरीर को खोखला कर देती है जिसके कारण कम उम्र में ही यहां के पुरुष मौत के मुंह में समा जाते हैं।
इस गांव की रहने वाली एक महिला के मुताबिक गांव की आबादी तकरीबन 1200 लोगों की है। जिसमें 200 से ज्यादा महिलाएं विधवा हो चुकी हैं। करीब 35 से 40 वर्ष की उम्र में उनके पतियों का देहांत हो गया। इन सबके बावजूद यूपी सरकार की ओर से अब तक ऐसे मजदूरों और उनके परिवार को राहत देने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पति के जाने के बाद अब तमाम महिलाएं परिवार चलाने के लिए यही काम कर रही हैं। लिहाजा उनकी जान पर भी इस बीमारी का साया मंडरा रहा है।