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लेखपालों की हड़ताल से घबराई योगी सरकार, लगाना पड़ा एस्मा, फिर भी 75 जिलों में स्ट्राइक जारी

लेखपालों को वाहन माह भत्ता के रूप में मिलते हैं सिर्फ 100 रुपये प्रतिमाह
ऑनलाइन रिपोर्ट लगाने के लिए नहीं है लैपटॉप, साइबर कैफे जाना पड़ता है

आगराJul 04, 2018 / 09:23 am

Bhanu Pratap

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आगरा। उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के लेखपाल हड़ताल पर हैं। आगरा में इसका खासा असर है। हड़ताल का प्रभाव यह है कि तहसीलों में आय, जाति, निवास, हैसियत समेत किसी भी प्रकार का प्रमाणपत्र नहीं बन रहे हैं। दाखिला खारिज नहीं हो रहा है। बिना लेखपाल की रिपोर्ट के ये काम नही हो सकते हैं। योगी सरकार ने लेखपालों की हड़ताल के मद्देनजर एस्मा- एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (essential services management act) लगा दिया है। इसके तहत हड़ताल नहीं की जा सकती है। एस्मा के तहत हड़ताली लेखपालों को निलंबित किया जा सकता है। प्रतिकूल प्रविष्टि दी जा सकती है। छह माह के लिए जेल भी भेजा जा सकता है। इसके बाद भी लेखपाल हड़ताल पर अडिग हैं। इससे पहले लेखापालों ने 2016 में हड़ताल की थी। 2018 में पूरा जून माह आंदोलन में निकल गया।
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ऑनलाइन रिपोर्ट कैसे लगाएं

सरकार ने पांच साल पहले योजना चलाई कि सभी प्रकार के प्रमाणपत्र ऑनलाइन बनेंगे। इसके तहत मोहल्लों में केन्द्र खोले गए। वहां आवेदन किया जाता है। प्रमाणपत्रों के लिए तहसील में कोई आवेदन नहीं लिया जाता है। लेखपाल को भी ऑनलाइन रिपोर्ट लगानी होती है। इसके लिए संसाधन चाहिए, जैसे लैपटॉप और नेट की सुविधा। लेखपालों को रिपोर्ट लगाने लिए साइबर कैफे जाना पड़ता है।
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क्या है समस्या

एक माह में वाहन भत्ते के रूप में 100 रुपये मिलता है। स्टेशनरी भत्ते के 100 रुपये , हाउस रेंट के 400 रुपये दिए जाते हैं। 34 साल सेवा के बाद भी लेखपाल के पद से सेवानिवृत्ति हो जाती है। कोई पदोन्नति नहीं हो रही है। वर्ष 2003 में चयन होने होने के बाद भी पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। यूपी की किसी भी तहसील में लेखापालों के लिए बैठने तक की सुविधा नहीं है। कोई कार्यालय नहीं है। गांवों में तो दरी पर बैठकर कार्य करना होता है। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के मीडिया प्रभारी डॉ. अश्वनी कुमार का कहना है कि क्या 100 रुपये में एक माह तक बाइक चलाई जा सकती है? आज के युग में क्या साइकिल पर काम हो सकता है? उन्होंने कहा कि 75 जिलों में हड़ताल जारी है।
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हड़ताल जारी रहेगी

लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष चौधरी भीमसेन ने बताया कि लेखपाल दो वर्ष से संघर्षरत है। नियमानुसार कई बार वार्ता की गई। ज्ञापन दिया। काली पट्टी बांध कर सांकेतिक विरोध किया, ताकि सरकार पुनः एक बार विचार करे। जब सरकार ने नहीं सुनी तो धरना देने को विवश हुए। तीन जुलाई से पूर्ण हड़ताल पर हैं। इसे देखते हुए सरकार ने एस्मा लगा दिया। इसके बाद भी लेखपाल हड़ताल पर कायम हैं। सदर तहसील में प्रातः 10 बजे से शाम 4 बजे तक धरना जारी रहेगा। आगरी की छह तहसीलों में 280 लेखपाल हड़ताल पर हैं।

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