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आगरा

International Mother Language Day जा भदावरी बोली और चंबल की घाटी की बात ही कुछ और है

चंबल भाषा में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष रिपोर्ट

आगराFeb 21, 2020 / 04:02 pm

अमित शर्मा

International Mother Language Day जा भदावरी बोली और चंबल की घाटी की बात ही कुछ और है

International Mother Language Day जा भदावरी बोली और चंबल की घाटी की बात ही कुछ और है

आगरा। आज हम आपको ले चलते हैं जिला आगरा की तहसील बाह में। बाह तहसील चंबल नदी के बीहड़ के किनारे स्थित है। चंबल नदी के तटवर्ती गांव में भदावरी भाषा बोली जाती है। जो अपने आप में अलग पहचान है। वहीं दूसरी तरफ चंबल का बीहड़ जो कभी दस्यु सरगनाओं की शरण स्थली रहा करता था आज पक्षियों की चहचहाट और घड़ियाल व मगरमच्छों की चहलकदमी से देशी व विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पेश है चंबल भाषा में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष रिपोर्ट
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आज से चार दशक पहलै जा चंबल में डाकुअन कौ बोल बालौ ओ। चंबल में डाकुन की गोली और बोली दोनों ही गूंजती हती। जब तै चंबल के बीहड़ तै डकुन कौ नामौ निशान खत्म भऔ है़ तब तै लोगों के मन ते डाकुन को डर खतम है़ गओ है। आज वो ही चंबल पक्षिन की चैचाहट और घड़ियाल व मगरमच्छ की अटखेलिन तै गूंज रही है़। चंबल की सुंदरता देशी और विदेशी पर्यटक नै अपनी ओर आकर्षित कर रही है़। बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक जा चम्बिले देखबे आये रहे है़। जा सरकार तै हम सब गांव वाइन की सिर्फ एक ही गुजारिश है़ कै जा चंबल के बालू ए नदी के किनारे के गांव वाइनै पक्के घर बनाये वे के ले परमीशन दै दैनी चहिये।

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