हिन्दी के साथ कई सारी अन्य भाषाओं पर भी केंद्रीय हिन्दी संस्थान कार्य कर रहा है। पूर्वोत्तर के राज्यों में मिजोरम की भाषा को सहेजने का काम किया गया है। इसके लिए हिंदी-मिजो अध्येता कोश तैयार कर शब्दों को संरक्षित किया गया है। केंद्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक प्रो.नंद किशोर पांडेय का कहना है कि हिंदी मिजो अध्येता कोश के माध्यम से मिजोरम में प्रचलित होने वाले शब्दों को संरक्षित करने का काम केंद्रीय हिन्दी संस्थान कर रहा है। पूर्वोत्तर भारत में हिंदी-समस्याएं और समाधान विषय पर एक व्याख्यान और हिंदी-मिजो अध्येता कोश का लोकार्पण मिजोरम के राज्यपाल ने किया।
मिजोरम भाषा का हिंदी और मिजो में द्विभाषीय अध्येता कोश है। जो लनर्स डिकस्नरी की तरह है। पूर्वोत्तर सहित कई राज्यों में जो भाषाएं प्रचलन में नहीं है। उनके प्रयोग करने वाले थोड़े लोग है और गुम होती भाषाएं हैं। इनके शब्दों को संकलित किया गया है, जिससे ये संरक्षित रहेंगे। सालों से ये काम हिंदी शिक्षक और एक्सपर्ट आदि के साथ बैठकर तैयार किया गया है। इस शब्द कोश को तैयार करने में सालों की मेहनत लगती है। तब जाकर शब्दों का संकलन होता है। संस्थान द्वारा एक दर्जन कोश तैयार हो रहे हैं।