‘पहचान’ फिल्म का गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’, फिल्म चंदा और बिजली का ‘काल का पहिया घूमे रे भइया’ और फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ का ‘ए भाई! ज़रा देख के चलो’ ऐसे गीत हैं जो लोगों के जेहन में आज भी जिंदा हैं। इन गीतों ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया। इन गानों के लिए उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा ‘शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब’ ‘लिखे जो खत तुझे’ ‘दिल आज शायर है, ग़म आज नगमा है’ ‘आज मदहोश हुआ जाए’ और ‘कारवां गुज़र गया गुब्बार देखते रहे’ जैसे गाने आज भी लोग गुनगुनाते मिल जाते हैं।
इन दोहों में छिपा जिंदगी का सार
अंतिम पल है कौन सा, कौन सका है जान 2. रुके नहीं कोई यहां नामी हो कि अनाम,
कोई जाए सुबह को, कोई जाए शाम…
जीवन नहीं मरा करता है.. 4. न जन्म कुछ न मृत्यु कुछ महज इतनी बात है
किसी की आंख खुल गई किसी को नींद आ गई… 5. जब तक डोरी हाथ में देख हवा का ढंग
पता नहीं किस पल कटे, किसकी तनी पतंग…
तन की चादर कुदरते पल पल रहकर साथ… 7. जो आए ठहरे यहां थे न यहां के लोग
सबका यहां प्रवास है, नदी नाव संजोग…
एक मुसाफिर हम यहां, एक मुसाफिर आप… 9. जाने कब आखिरी खत आपके नाम आ जाए
आपसे जितना बने प्यार लुटाते रहिए… यह भी पढें – जब कवि नीरज ने कहा- प्रयाग तो नंगे पांव आना चाहिए