राम सिंह आजाद ने बताया कि ये बात 1974 की है, जब अटल जी राष्ट्रीय जनसंघ के अध्यक्ष थे। 21 मार्च 1974 को अटल जी का एक लेख भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें बटेश्वर को लेकर उन्होंने अपनी ये बड़ी इच्छा जाहिर की थी। बटेश्वर का विशाल और ऐतिहासिक मेला लगता है। यहां पर पार्टी का कार्यक्रम हुआ था, जिसमें उन्होंने सरकार से बटेश्वर की सांस्कृतिक विरासत को बचाने की मांग मंच से उठाई थी। कहा था कि यमुना में आने वाली तेज लेहरे इस संस्कृति को अपनी कोख में समां लेंगी, इसलिए समय रहते इनको बचाने की आवश्यकता है।
राम सिंह आजाद ने बताया कि अटल जी का यमुना से गेहरा नाता रहा है। उनके पिता ग्वालियर में नौकरी करते थे, जिसके चलते पूरा परिवार वहीं रहता था, लेकिन जब भी गर्मियों के अवकाश होते थे, तो पूरा परिवार यहां आता था। अवकाश के दिनों में तुलसी घाट के पास मैदान में खेलना कूदना और यमुना नदी में स्नान करना अटल जी को खूब भाता था। यमुना जी से एक विशेष प्रकार का लगाव था। यहां के घाट उन्हें बेहद प्रिय थे।
अटल जी की इच्छा थी कि बटेश्वर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये। यहां के घाटों का जीर्णोद्धार हो। अटल जी की ये इच्छा आज भी अधूरी है। केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं और प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ है, लेकिन बटेश्वर के लिए कोई काम नहीं हो सका। पर्यटन क्षेत्र मथुरा तक सिमट कर रह गया, जबकि बटेश्वर का कहीं नाम भी नहीं आता है।