वर्तमान समय में युवा पीढ़ी का नशे में चूर रहना एक फैशन सा बन गया हैं। न केवल युवक, अपितु संभ्रात परिवार की लड़कियां भी इसकी आदी हो रही हैं। नशे की लत का शिकार युवा न केवल अपने परिवार के लिये अभिशाप बन जाता है, अपितु समाज व राष्ट्र के लिए भी कलंक साबित होता है। सबसे शर्मनाक पहलू तो यह हैं की सरकारों ने राजस्व की आड़ मे शराब सेवन को बढ़ावा देकर युवा पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ ही किया है। ऐसी हालत में नशे के गर्त में डूबे युवाओं को कौन बचाएगा?
-गायत्री चौहान, जोधपुर
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युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति वास्तव में चिंताजनक है। युवा उचित मार्गदर्शन के अभाव में नशा करते हैं। किशोरावस्था के बालकों पर खास ध्यान दिया जाए। उनकी संगत पर निगाह रखी जाए। संगत ठीक हो तो बच्चे नशे के जाल से बच जाते हैं।
-करण राज सोलंकी, तखतगढ़
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युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति के अनेक कारण हैं। नशे की उपलब्धता एवं पहुंच आसान होने से भी नशे की प्रवृत्ति बढ़ी है। संयुक्त परिवार का विघटन होने से भी युवाओं को अधिक स्वतंत्रता मिली है। मीडिया ने भी नशे के कारोबार को प्रचारित किया है। वर्तमान में बढ़ती बेरोजगारी में मानसिक अवसाद दूर करने के लिए भी युवा नशे का सहारा लेते हैं। अत: इन सब पर ध्यान देकर हमें समस्या का निराकरण करना होगा।
-सत्तार खान कायमखानी, कुचेरा, नागौर
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आजकल खासकर युवा वर्ग में नशे कि प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है, जो चिंताजनक है। इसका मुख्य कारण है कि आजकल समाज में नशे को शान का प्रतीक समझा जाने लगा है। युवा वर्ग भी नशा करने में अपनी शान समझता है और वह अन्य साथियों को भी इस तरह प्रेरित करता है कि उन्हें भी नशा करना प्रतिष्ठा का विषय लगने लगता है। इसके साथ ही नशा माफियाओं के बढ़ते प्रभाव और नेटवर्क से नशीले पदार्थ आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं।
-हनुमान बिश्नोई, बाड़मेर
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खराब संगत, सामाजिक रिश्तों में दूरी व अकेलेपन का अधिक होना युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। परिवारजन जब अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते। इससे बच्चे नशे के जाल में उलझ जाते हैं।
-आनंद सिंह बीठू, सींथल, बीकानेर
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युवाओं को संभालें
आधुनिक युग में जहां हम तकनीकी रूप से सुविधा संपन्न बनते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की युवा पीढ़ी अवसाद और तनावग्रस्त होती जा रही है। युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, अभिभावकों की अपेक्षाओं का भार और प्रतिस्पर्धा में पिछडऩे का डर उसे अवसाद की तरफ धकेलता है। बढ़ती महत्त्वाकांक्षा, आपसी सहयोग की कमी, अपनों से बड़ों से दूरी समस्या की जड़ है। युवाओं को समय-समय पर परामर्श देकर उनको संभाला जा सकता है।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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बेरोजगारी, आधुनिक दिखने का भ्रम, प्रेम मं हताशा, सद् शिक्षा का अभाव, भ्रामक विचारधाराओं में उलझना, सामाजिक एवं पारिवारिक अनुशासन के प्रति विद्रोह की भावना, हाईप्रोफाइल जीवनशैली की लालसा जैसे अनेक कारण अवसाद की वजह हैं। इससे युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। युवा अपनी क्षमता को पहचानें, दूसरों से अपनी तुलना ना करें। नशे में खो जाना कायरता है। खेलों से जुड़ें। परोपकार के काम करें। इसी से अच्छे समाज का निर्माण होगा।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का अहम कारण पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बदलता कल्चर है। आज समाज में भौतिकता हावी होती जा रही है। दूसरा अहम कारण संयुक्त परिवार का टूटना भी है। आज एकल परिवार की वजह से बच्चों को वह प्यार व संस्कार नहीं मिल पाते, जिनकी अपेक्षा होती है। ऐसे में एकाकीपन को दूर करने के लिए बच्चे मोबाइल, इंटरनेट आदि से जुड़ जाते हैं। साथ ही नशे की लत के शिकार भी हो जाते हैं। युवाओं को माता-पिता के प्रेम व नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को भी मादक पदार्थों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए, तभी युवा पीढ़ी को बचाया जा सकेगा ।
-आजाद कृष्णा राजावत, निहालपुरा
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युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार को नशे से संबंधित सामानों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया व सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए और युवाओं में जो नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है, उसे पूर्णत: खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़