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पेजर और वॉकी-टॉकी से विस्फोट भविष्य के लिए खतरनाक खाका

पेजर और वॉकी-टॉकी सेट में विस्फोटक पदार्थ रखने के इजरायली तरीके की नकल हवाई जहाजों या वाहनों को उड़ाने के लिए भी की जा सकती है। ऐसी आशंका इजरायल के अमरीकी समर्थकों ने भी जताई है।

जयपुरSep 27, 2024 / 11:17 pm

Nitin Kumar

Lebanon Pager Bomb

Lebanon Pager Bomb

वप्पाला बालचंद्रन
भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया विशेषज्ञ और ‘इंटेलिजेंस ओवर सेंचुरीज’ पुस्तक के लेखक
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लेबनान में हिजबुल्ला के साथ जंग में इजरायली सेना का सशस्त्र हवाई हमला और पेजर तथा वॉकी-टॉकी सेट पर विस्फोट की घटनाओं के बाद भविष्य के दो परिदृश्य उभरकर सामने आते हैं। पहला-क्या यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है? दूसरा-एक बेहद स्वाभाविक विश्लेषण कि क्या पेजर्स पर इजरायल के हिंसक सामूहिक विस्फोट ने भविष्य के लिए एक नया और खतरनाक खाका पेश किया है जिसे बाद में अन्य देश भी अपना सकते हैं? पेजर और वॉकी-टॉकी सेट में विस्फोटक पदार्थ रखने के इजरायली तरीके की नकल हवाई जहाजों या वाहनों को उड़ाने के लिए भी की जा सकती है। ऐसी आशंका इजरायल के अमरीकी समर्थकों ने भी जताई है। अमरीका के ही एक कंजरवेटिव थिंक टैंक ने पेजर विस्फोट के तुरंत बाद अचम्भित होते हुए कहा कि क्या इस तरह की कार्रवाई को सेलफोन या आम इस्तेमाल के अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दोहराया जा सकता है।
कोई संदेह नहीं कि हिजबुल्ला की उस आतंरिक संचार प्रणाली को नष्ट कर दिया गया जिसे इजरायली एजेंसियों से बचे रहने के लिए अपनाया गया था। हालांकि, इजरायल ने आधिकारिक रूप से हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, पर रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया कि इजरायल ‘युद्ध के नए चरण में प्रवेश’ कर रहा है। इजरायल के सेना प्रमुख हर्जी हलेवी ने सावधान किया कि वह और भी अप्रत्याशित, आश्चर्यजनक झटका देने में समर्थ हैं क्योंकि ‘हम पहले ही दो कदम आगे हैं… हम अपने देश को ऐसा बनाएंगे कि आतंकी खाना खाते हुए भी डरेंगे।’
20 सितंबर को अमेरिकन नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) ने खुलासा किया कि एक अधिकारी (जो कुछ कहने के लिए अधिकृत नहीं है) ने बताया कि विस्फोट के बाद इजरायल ने ‘हमले की जिम्मेदारी’ लेते हुए वाशिंगटन को सूचित किया था। कानूनी विशेषज्ञों के हवाले से एनपीआर ने यह भी कहा कि इजरायल उस अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार है जिस पर उसके साथ लेबनान ने भी हस्ताक्षर किए हैं। अनुभव और अवलोकन से संकेत हैं कि संयुक्त राष्ट्र के निकायों या यूएस कांग्रेस सदस्यों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से इजरायल प्रभावित नहीं होगा।
अभी 17 सितंबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फिलिस्तीन द्वारा बनाए गए एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया है। प्रस्ताव में मांग की गई थी कि इजरायल 12 माह के भीतर ‘कब्जाए गए फिलिस्तीनी क्षेत्र में अपनी गैर-कानूनी मौजूदगी’ को खत्म करे। इजरायल ने जुलाई 2024 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के उस आदेश को नजरअंदाज कर दिया है जिसमें उसके कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में इजरायली बस्तियों का निर्माण रोकने और उन क्षेत्रों एवं गाजा पट्टी में ‘अवैध’ कब्जे को जल्द से जल्द हटा लेने को कहा गया था। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तब कहा था कि अदालत का ‘फैसला झूठी बातों से भरा’ है।
आतंकवाद के इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि पेजर-वॉकी टॉकी विस्फोटों को ट्रिगर करने की वर्तमान इजरायली कार्रवाई किसी भी राज्य द्वारा किया गया पहला हिंसक कदम हो सकता है। 1881 में ‘नरोदनाया वोल्या’ नामक संगठन के इतिहास में पहले आत्मघाती बम विस्फोट (जिसमें सेंट पीटर्सबर्ग में जार अलेक्जेंडर द्वितीय की मौत हो गई थी) से लेकर आज तक किसी भी राज्य ने इस तरह के गंभीर परिणामों के साथ ऐसा हमला नहीं किया है। 1882 में लॉर्ड कैवेंडिश (आयरलैंड में ब्रिटिश मुख्य सचिव) की हत्या, 1894 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्नोट, 1897 में स्पेन के प्रधानमंत्री एंटोनियो कैनोवास और 1900 में इटली के राजा अम्बर्टो की हत्याओं के मामलों में भी यही बात लागू होती है।
(द बिलियन प्रेस)

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