– कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं
दरअसल कलेक्टर दीपक आर्य ने 10 मई को एक आदेश जारी कर स्मार्ट सिटी द्वारा राजघाट व भोपाल रोड पर तैयार किए नए बस स्टैंड से बसों का संचालन शुरू करा दिया था। बस ऑपरेटर्स ने कलेक्टर के आदेश के खिलाफ जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की और नियमों का पालन न करने की तर्क दिया, जिस पर कोर्ट ने 20 जून को स्टे आर्डर जारी कर दिया। प्रशासन इसके बाद भी पुराने बस स्टैंड से बसों के संचालन को लेकर तैयार नहीं था। शुक्रवार को अधिकारियों ने बस ऑपरेटर्स को दस्तावेजों की जांच कराने के नाम पर चेतावनी देकर दबाने का भी प्रयास किया था, अचानक रात में बेरिकेड्स हटा दिए गए, लेकिन शनिवार को परिवहन विभाग का एक भी कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं पहुंचा और न ही अनुरक्षण शुल्क की रसीदें काटी गईं।
– चौराहे पर सवारी बैठाने पर काटा चालान
शनिवार को सिविल लाइन चौराहे के पास खड़े होकर यात्रियों को बैठा रही एक बस पर यातायात पुलिस पुलिस ने चालानी कार्रवाई की। यातायात डीएसपी मयंक चौहान ने बताया कि चौराहे के पास बसों के खड़े होने पर प्रतिबंध लगाया है, इससे यातायात प्रभावित होता है। सभी को हिदायत दी गई है कि वे यात्रियों को मकरोनिया रोड पर कैंट के नाकों के पास बसें खड़ी करें। निर्देशों का पालन न करने पर एक यात्री बस पर चालानी कार्रवाई की गई थी।
– प्रशासन को छोड़ बाकी सब खुश
न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद पुराने बस स्टैंड से शुरू हुए बसों के संचालन को लेकर नेता और अधिकारियों को छोड़कर हर व्यक्ति खुश है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार की रात बस स्टैंड खुलने की खुशी में जो लोग बैंड-बाजों के साथ आतिशबाजी कर मिठाइयां बांट रहे थे उसमें न तो बस ऑपरेटर्स थे न ही स्थानीय व्यापारी। खुशियां मनाने वालों में शहर के आमजन शामिल थे।
– छात्राएं बोलीं यहां ज्यादा सहूलियत
मैं राहतगढ़ क्षेत्र के गंभीरिया हाट से गल्र्स डिग्री कॉलेज आती हूं। बस स्टैंड की शिफ्टिंग के कारण पिछले एक महीने बहुत परेशानी हुई। बस स्टैंड से कॉलेज तक आने-जाने अलग से ऑटो का खर्चा बढ़ गया था। खुशी राजपूत, छात्रा इस बस स्टैंड से कॉलेज लगा हुआ है। यहां से पैदल कॉलेज पहुंच जाते हैं, लेकिन नए बस स्टैंड से कॉलेज आने-जाने में समय की तो बर्बादी होती ही थी साथ में आर्थिक नुकसान भी हो रहा था। हमें यहां ज्यादा सहूलियत है।
निशा चढ़ार, छात्रा