ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा (Skand Mata Ki Puja Vidhi)
1. सबसे पहले गंगा जल या गोमूत्र से पूजा स्थल का शुद्धिकरण करें। 2. एक चौकी पर मां स्कंदमाता की प्रतिमा रखें, चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें या पहले से कलश स्थापित किए हुए हैं तो वहीं पहले कलश की पूजा कर फिर मां की तस्वीर रखकर पूजा शुरू करें। 3. वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। 4. इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।
5. माता के मंत्र जपें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, आरती गाएं। 6. इस दिन माता को केले का भोग जरूर लगाएं, इसके बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। इस प्रसाद को ब्राह्मण को देने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। इससे चाणक्य जैसे बुद्धिमान बन सकते हैं।
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स्कंदमाता के मंत्र (Worship with this Maa Skandmata mantra)
मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। सिंहवाहिनी माता की पूजा में नीचे लिखे हुए मंत्रों का जाप करना चाहिए।1. सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥ 2. ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥ ये भी पढ़ेंः Skandmata Ki Aarti: मां स्कंदमाता की आरती, नियमित पढ़ने से मिलती है शक्ति और समृद्धि
संतान प्राप्ति के लिए मंत्र (Santan prapti mantra)
पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कंद माता हैं। जिन व्यक्तियों को संतानाभाव हो, उन्हें माता की पूजन-अर्चना कर नीचे लिखे मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होकर मुराद पूरी कर देती हैं। ‘ॐ स्कंदमात्रै नम:।।’