मान्यता है कि इस दिन यम का दीया जलाने से घर के सदस्यों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। साथ ही परिवार में समृद्धि आती है। लेकिन यम का दीया जलाने का खास तरीका होता है। आगे पढ़िए यम दीपक जलाने का सही तरीका और नरक चतुर्दशी पूजा विधि, इससे पहले पढ़िए नरक चतुर्दशी का महत्व ..
नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaturdashi Mahatv)
हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध कर लोगों को भय मुक्त किया था। साथ ही उसके बंधन से 16 000 स्त्रियों को मुक्त किया था। इसके अलावा इनको समाज में किसी आक्षेप का सामना न करना पड़े, इसलिए उनसे विवाह भी किया था। इसी नरकासुर वध की स्मृति में इस दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन यमराज की पूजा का विशेष महत्व होता है और यमराज के नाम से दीपक जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि यम का दीया जलाने से घर में धन धान्य की वृद्धि भी होती है। घर में शुभता आती है, परिवार के सदस्य दीर्घायु होते हैं। साथ ही इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
ये है नरक चतुर्दशी का नियम
नियमों के अनुसार नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान, लक्ष्मी पूजा दिवस से एक दिन पूर्व या उसी दिन हो सकता है। जिस समय चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से पूर्व प्रबल होती है और अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद प्रबल होती है तो नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन पड़ती है। अभ्यंग स्नान हमेशा चन्द्रोदय के समय किन्तु सूर्योदय से पूर्व चतुर्दशी तिथि के समय किया जाता है।चतुर्दशी तिथि प्रारंभः 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01:15 बजे
चतुर्दशी तिथि समापनः 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे तक नरक चतुर्दशी: बृहस्पतिवार 31 अक्टूबर 2024 को
अभ्यंग स्नान मुहूर्त (Abhyang Snan Muhurt): सुबह 05:31 बजे से 06:42 बजे तक
अवधिः 01 घंटा 11 मिनट नरक चतुर्दशी के दिन चंद्रोदय का समयः सुबह 05:31 बजे से
(चंद्रोदय और चतुर्दशी के दौरान अभ्यंग स्नान करना चाहिए)
यम का दीपक जलाने का सही तरीका
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नरक चतुर्दशी पर यम दीपक जलाने का विशेष समय निर्धारित है। मान्यता है कि यम का दीया प्रेत काल में जलाना चाहिए। यह समय दिवाली से एक दिन पहले आता है और शाम के समय सूर्यास्त के बाद से रात तक रहता है। इसी समय मुख्य द्वार के बाहर या घर के दक्षिण दिशा में यम दीप जलाना चाहिए। ये भी पढ़ेंः Roop Chaudas: रूप चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी कल, घर-घर जलाए जाएंगे यम दीप, जानें अभ्यंग स्नान समेत अन्य परंपराएं और मान्यताएं
नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)
नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान ही सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। वास्तव में अभ्यंग स्नान को ही नरक चतुर्दशी अनुष्ठान माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन अभ्यंग स्नान करने वाले लोग नरक जाने से बच सकते हैं। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है। यहां जानिए नरक चतुर्दशी पूजा विधि .. 1.कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को प्रातःकाल अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) और ‘चकबक’ को स्नान के समय मस्तक पर घुमाना चाहिए। अभ्यंग स्नान के समय भी ये प्रक्रिया अपनाएं। मान्यता है कि इससे नरक का भय समाप्त होता है। इस समय इस तरह से प्रार्थना करना चाहिए ..
सीता लोष्ट सहा युक्तः सकण्टक दलान्वितः
हर पापमपामार्ग। भ्राम्यमाणः पुनः पुनः
अर्थः हे अपामार्ग! मैं कांटों और पत्तों सहित तुम्हें अपने मस्तक पर बार-बार घुमा रहा हूं। तुम मेरे पाप हर लो। 2. स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके मृत्यु के देवता और सूर्य पुत्र यम के चौदह (14) नामों का तीन-तीन बार उच्चारण करके तर्पण (जल-दान) करना चाहिए, यह यम तर्पण कहलाता है। साथ ही श्री भीष्म को तीन अंजली जल-दान देकर तर्पण करें, यहां तक कि जिनके पिता जीवित हैं, उन्हें भी यह जल-अञ्जलियां देनी चाहिए। जल-अञ्जलि के समय जपने के लिए ये हैं यमराज के नाम ..
ऊँ यमाय नमः
ऊँ धर्मराजाय नमः
ऊँ मृत्यवे नमः
ऊँ अन्तकाय नमः
ऊँ वैवस्वताय नमः
ऊँ कालाय नमः
ऊँ सर्वभूतक्षयाय नमः
ऊँ औदुम्बराय नमः
ऊँ दध्नाय नमः
ऊँ नीलाय नमः
ऊँ परमेष्ठिने नमः
ऊँ वृकोदराय नमः
ऊँ चित्राय नमः
ऊँ चित्रगुप्ताय नमः 3. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को सायंकाल घर से बाहर नरक निवृत्ति के लिए धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी चार बत्तियों का दीपक यम देवता के लिए जलाएं। इसके बाद गौशाला, देव वृक्षों के नीचे, रसोईघर, स्नानागार आदि में दीप जलाएं। इस प्रकार दीपदान के बाद नित्य पूजन करें। इस दिन भगवान कृष्ण की भी विधि विधान से पूजा करें ..
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नरक चतुर्दशी पर इन बातों का भी रखें ध्यान
1.घर की साफ-सफाई और दीप जलाकर लक्ष्मी जी की भी पूजा करें। 2. चतुर्दशी के दिन यमराज के साथ-साथ भगवान विष्णु और महाकाली की भी पूजा करें। 3. इस दिन जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रयास करें, किसी से विवाद न करें। 4. जरूरतमंदों को दान दें, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।