कार्बन प्रदूषण बंद नहीं हुआ तो होगी तबाही
क्लाइमेट सेन्ट्रल की रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को 16 से 24 जून के दौरान अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ा। क्लाइमेट सेंट्रल के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी एंड्रयू पर्शिंग ने कहा है कि एक सदी से भी ज्यादा अवधि में कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जलाने से दुनिया में गर्मी से जुड़ी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं। कार्बन प्रदूषण बंद होने तक ऐसी आपदाएं और भी आम हो जाएंगी। जलवायु परिवर्तन Extreme Heat का सबसे बड़ा कारण
क्लाइमेट सेंट्रल का क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स (सीएसआई) दुनिया भर के तापमान पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को निर्धारित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 से 24 जून के बीच 4.97 बिलियन लोगों ने कम से कम 3 के सीएसआई स्तर तक पहुंचने वाली अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया, जो दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन ने इस तरह के तापमान रहने की संभावना कम से कम तीन गुना बढ़ा दी है।भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अप्रेल से जून की अवधि के दौरान देश के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से में सामान्य दिनों की तुलना में दोगुनी संख्या में लू के दिन दर्ज किए गए। राजस्थान के कुछ हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, जबकि कई स्थानों पर रात का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा।