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World Press Freedom Day: यूनाइटेड नेशंस की सभी देशों से अपील, कहा – मीडिया और सच को दबाना करें बंद

World Press Freedom Day: 3 मई का दिन दुनियाभर में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के तौर पर जाना जाता है। यूनाइटेड नेशंस ने आज के दिन को दुनियाभर में मीडिया की स्वतंत्रता की अहमियत के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए निर्धारित किया है। इसी दिन के अवसर पर यूनाइटेड नेशंस के प्रमुख ने सभी देशों से एक अपील की।

May 03, 2023 / 02:23 pm

Tanay Mishra

World Press Freedom Day

प्रेस यानी कि मीडिया। इसमें प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया और टीवी मीडिया सभी शामिल हैं। प्रेस का काम होता है दुनियाभर की खबरों को लोगों के सामने सच के साथ पेश करना। प्रेस को समाज का दर्पण भी माना जाता है। प्रेस का काम समाज के लोगों को सही जानकारी देना होता है। ऐसे में प्रेस की फ्रीडम यानी कि स्वतंत्रता काफी ज़रूरी होती है। दुनिया के कई देशों में प्रेस को स्वतंत्रता है, पर कुछ देश ऐसे भी हैं जहाँ प्रेस को स्वतंत्रता नहीं मिली हुई है। प्रेस की स्वतंत्रता की अहमियत के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए ही यूनाइटेड नेशंस (United Nations) ने 3 मई का दिन वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे (World Press Freedom Day) के रूप में निर्धारित कर रखा है। आज वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के अवसर पर यूनाइटेड नेशंस के प्रमुख ने सभी देशों से एक अपील की है।


मीडिया और सच को दबाना करें बंद

यूनाइटेड नेशंस के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस (António Guterres) ने वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के अवसर पर सभी देशों से अपील की है कि उन्हें मीडिया और सच को दबाना बंद करना चाहिए। एंटोनियों ने कहा है कि दुनिया के हर कोने में किसी ना किसी रूप में मीडिया को सच को दिखाने से रोका जाता है और यह सही नहीं है। एंटोनियो ने कहा कि मीडिया दुनिया के सामने सच को पेश करने का काम करती है और उन्हें निशाना नहीं बनाना चाहिए।


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मीडिया के खिलाफ हिंसा को रोकना है ज़रूरी


एंटोनियो ने जानकारी देते हुए बताया कि 2022 में मीडिया वर्कर्स की हत्या के मामलों में 50% तक इजाफा देखने को मिला है। हालांकि ऐसा सभी देशों में नहीं होता है, पर दुनिया के कई देशों में सच को दबाने के लिए मीडिया वर्कर्स की हत्या कर दी जाती है। इतना ही नहीं, उन्हें सच को सामने लाने से रोकने के लिए उनके खिलाफ कई कार्रवाई की जाती हैं। एंटोनियो ने कहा कि दुनियाभर में मीडिया के खिलाफ हिंसा को रोकना ज़रूरी है।

रूस का दिया उदाहरण

एंटोनियो ने रूस का उदाहरण देते हुए बताया कि रूस में अगर कोई भी मीडिया वर्कर सरकार के खिलाफ ऐसा सच्चा दिखाता है जिससे सरकार को आपत्ति होती है, तो उसे 15 साल तक की जेल की सज़ा का प्रावधान है। एंटोनियो ने इसे मीडिया के अधिकारों का हनन बताया। एंटोनियो ने यह भी बताया कि कई मीडिया वर्कर्स को सच के लिए आवाज़ उठाने पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और यह सही नहीं है। समाज के लिए मीडिया का स्वतंत्र होना बहुत ज़रूरी है और उनके अधिकारों का हनन रोकना इसके लिए बहुत अहम है।

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