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एशिया की सबसे खराब पैठ वाली करेंसी बना भारत का रुपया, आखिर क्या है इसका कारण

Indian Rupee Depreciation: भारत का रुपया डॉलर के मुकाबले सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन चुका है। रुपये में इस कमजोरी के पीछे कई अहम कारण है। आइए इसे​ विस्तार से जानते हैं:

नई दिल्लीNov 30, 2024 / 02:05 pm

M I Zahir

Indian Currency

Indian Rupee Depreciation : भारत के रुपए का अवमूल्यन हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार कमजोर प्रदर्शन ( Rupee depreciation) जारी है। एक मिसाल देखें कि गत गुरुवार को डॉलर के मुकाबले ( Dollar index) रुपया सपाट स्तर पर खुला। इसके पहले बुधवार को इसमें 12 पैसे प्रति डॉलर की गिरावट दिखी। इस गिरावट के साथ, पिछले छह महीनों के दौरान घरेलू करेंसी डॉलर के मुकाबले 1.6% गिरी है। इसी के साथ रुपया एशिया की दूसरी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गई है। दक्षिण कोरियाई वॉन में इस दौरान 2.1% की गिरावट आई है। इन दिनों विदेशी निवेशक (foreign investors) भारत में निवेश करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

12 पैसे की एक दिन की गिरावट दर्ज

भारत के रुपये के प्रदर्शन पर नजर डालें तो बीते एक साल में, करेंसी में 20 सेशन के दौरान कम से कम 12 पैसे की एक दिन की गिरावट दर्ज की गई है। गत 4 जून को रुपया 38 पैसे फिसला था जो कि बीते एक साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट थी। इसके अलावा रुपया जो रिकॉर्ड निचले स्तर पर बना हुआ है, साल के अधिकतर हिस्से में नुकसान में ही रहा है। इससे पहले साल 2023 में रुपये में 0.6% की गिरावट हुई थी । गत 21 नवंबर को ही रुपया 84.50 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया।

क्यों रुपये में दिख रही इतनी कमजोरी ?

डोनाल्ड ट्रंप की जीत का असर नजर आ रहा है। रुपये में दबाव के पीछे कई कारण हैं। अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ बढ़ाने की बात कर रहे हैं।वहीं जियोपॉलिटिकल टेंशन के बीच विदेशी निवेशक लगातार घरेलू बाजार से बाहर निकल रहे हैं। इससे एक तरह डॉलर मजबूत हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ घरेलू करेंसी पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

डॉलर इंडेक्स में बढ़त

ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो डॉलर इंडेक्स बीते 2 महीने में ही 6% बढ़ गया है। इंडेक्स दुनिया की 6 बड़ी करेंसी के मुकाबले डॉलर का प्रदर्शन दर्शाता है।

FPIs की बिकवाली

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर में लगभग 11 अरब डॉलर निकालने के बाद नवंबर में अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 1.5 अरब डॉलर निकाले हैं। इन दोनों वजहों से रुपये में गिरावट बढ़ गई है। बाज़ार का मानना ​​है कि कैपिटल मार्केट से विदेशी निवेशकों की ओर से पैसे के लगातार बाहर निकालने के कारण भारत की करेंसी पर दबाव बढ़ सकता है। बार्कलेज के अनुसार, शेयर बाजार से हर 10 अरब डॉलर के बाहर जाने पर डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 0.5 फीसदी टूट सकता है। बार्कलेज ने एक निवेशक नोट में लिखा कि हमारा अनुमान है कि इस साल के अंत तक रुपया फिसल कर 84.7 तक और 2025 के अंत तक 87 तक पहुंच जाएगा।

इस तरह समझें

रुपये का अवमूल्यन: पिछले कुछ महीनों में रुपये में लगातार गिरावट देखने को मिली है। उदाहरण के लिए, गत गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया सपाट स्तर पर खुला था, जबकि बुधवार को इसमें 12 पैसे प्रति डॉलर की गिरावट आई थी। पिछले छह महीनों में रुपये में 1.6% की गिरावट आई है, और यह एशिया की दूसरी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन चुका है। रुपये की एक दिन की गिरावट: पिछले एक साल में रुपये में 20 से ज्यादा सत्रों में कम से कम 12 पैसे की एक दिन की गिरावट दर्ज की गई है। 4 जून को रुपये में 38 पैसे की गिरावट आई थी, जो पिछले एक साल की सबसे बड़ी गिरावट थी।

विदेशी निवेशकों की निकासी

अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की संभावना और वैश्विक तनाव के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से बाहर निकल रहे हैं, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ रहा है। इसके अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने अक्टूबर में लगभग 11 अरब डॉलर निकाले, और नवंबर में अब तक 1.5 अरब डॉलर की निकासी की है, जिससे रुपये में और गिरावट आई है।

डॉलर इंडेक्स में वृद्धि

डॉलर इंडेक्स, जो दुनियाभर की प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, पिछले दो महीनों में 6% बढ़ चुका है। इस वृद्धि के कारण डॉलर की मजबूती में इजाफा हुआ है, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। बहरहाल बार्कलेज के अनुसार, अगर विदेशी निवेशकों की निकासी जारी रहती है, तो रुपये में और गिरावट हो सकती है। उनका अनुमान है कि इस साल के अंत तक रुपया 84.7 तक गिर सकता है और 2025 के अंत तक यह 87 तक पहुंच सकता है।
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