ये कारण मानते हैं जीव विज्ञानी
1. सोनार ठीक से काम नहीं करता
जीव विज्ञानी इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण या जियोमैग्नेटिक दुष्प्रभाव मानते हैं। इसके कारण मछलियों की सोनार प्रणाली ठीक से काम नहीं कर पाती, जो उन्हें दिशा ढूंढने में मदद करती है। कई बार जहाजों के सोनार की वजह से भी ये मछलियां रास्ता भटक जाती हैं।
1. सोनार ठीक से काम नहीं करता
जीव विज्ञानी इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण या जियोमैग्नेटिक दुष्प्रभाव मानते हैं। इसके कारण मछलियों की सोनार प्रणाली ठीक से काम नहीं कर पाती, जो उन्हें दिशा ढूंढने में मदद करती है। कई बार जहाजों के सोनार की वजह से भी ये मछलियां रास्ता भटक जाती हैं।
2. एक थ्योरी ये भी
कई बार किसी परेशानी के चलते व्हेल जब तट पर आ जाती है तो दूसरी व्हेल को संकेत भेजती है। इन संकेतों को पाकर दूरी व्हेल भी वहां आ जाती हैं और फंसने लगती हैं। फंसने का अभिप्राय उथले पानी में आ जाना होता है।
कई बार किसी परेशानी के चलते व्हेल जब तट पर आ जाती है तो दूसरी व्हेल को संकेत भेजती है। इन संकेतों को पाकर दूरी व्हेल भी वहां आ जाती हैं और फंसने लगती हैं। फंसने का अभिप्राय उथले पानी में आ जाना होता है।
पहली बार नहीं हुई ऐसी घटना
तस्मानिया पार्क एंड वाइल्डलाइफ सर्विस के क्षेत्रीय प्रबंधक निक डेका ने कहा कि तस्मानिया में समुद्र तट पर व्हेलों के फंसे होने की घटना कोई नई या असामान्य घटना नहीं है। आमतौर पर हर दो या तीन हफ्तों में एक बार तस्मानिया में डॉल्फिन और व्हेल के फंसे होने की घटना होती है, लेकिन इतने बड़े समूह में मछलियों के फंसने की घटना 10 साल बाद हुई है। इससे पहले ऐसी घटना 2009 में हुई थी। उस समय समुद्र तट पर 200 व्हेलों को फंसा हुआ देखा गया था। 2018 में भी ऐसी ही एक घटना में न्यूजीलैंड के तट पर करीब 100 पायलट व्हेलों की मौत हो गई थी।
तस्मानिया पार्क एंड वाइल्डलाइफ सर्विस के क्षेत्रीय प्रबंधक निक डेका ने कहा कि तस्मानिया में समुद्र तट पर व्हेलों के फंसे होने की घटना कोई नई या असामान्य घटना नहीं है। आमतौर पर हर दो या तीन हफ्तों में एक बार तस्मानिया में डॉल्फिन और व्हेल के फंसे होने की घटना होती है, लेकिन इतने बड़े समूह में मछलियों के फंसने की घटना 10 साल बाद हुई है। इससे पहले ऐसी घटना 2009 में हुई थी। उस समय समुद्र तट पर 200 व्हेलों को फंसा हुआ देखा गया था। 2018 में भी ऐसी ही एक घटना में न्यूजीलैंड के तट पर करीब 100 पायलट व्हेलों की मौत हो गई थी।
ऐसी है पायलट व्हेल
पायलट व्हेल समुद्री डॉल्फिन की एक प्रजाति है जो 23 फीट तक लंबी होती है। इसका वजन 3 टन तक हो सकता है। ये व्हेल समूह में यात्रा करती हैं।
पायलट व्हेल समुद्री डॉल्फिन की एक प्रजाति है जो 23 फीट तक लंबी होती है। इसका वजन 3 टन तक हो सकता है। ये व्हेल समूह में यात्रा करती हैं।