विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO इन दिनों जबरदस्त आर्थिक संकट से गुजर रहा है। हाल यह है कि उसे खुद आगे आकर देशों से पैसों का इंतजाम करने को कहना पड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मदद मांगने के साथ-साथ यह तक कह दिया कि अगर रकम नहीं मिली तो करीब 50 लाख लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि उसे पैसों की सख्त जरूरत है। अगले एक साल में कोरोना महामारी के खात्मे के लिए करीब 23 अरब डॉलर तत्काल चाहिए। इस रकम से 50 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है।
WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस एधानम गेब्रेसस ने G-20 देशों को दो टूक कहा कि आपको लीडरशिप दिखाते हुए हमारी मदद करनी चाहिए और फंड रिलीज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम गरीब देशों को अकेला नहीं छोड़ सकते। बता दें कि G-20 देशों की बैठक इस सप्ताह के अंत में इटली के रोम शहर में होगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल होंगे।
यह भी पढ़ें
-प्रधानमंत्री मोदी आज पांच दिवसीय इटली और ब्रिटेन की यात्रा पर रवाना हुए, पोप फ्रांसिस से भी करेंगे मुलाकात, जानिए क्या है पूरा कार्यक्रम
डॉ. टेड्रोस ने कहा, हमें कोरोना वैक्सीन, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट के लिए पैसे की जरूरत है। इससे भविष्य में करीब 50 लाख मौतों को रोका जा सकता है। G-20 देशों में इस महामारी के खिलाफ कार्रवाई करने की राजनीतिक और आर्थिक क्षमताएं हैं। उन्होंने कहा कि हम एक निर्णायक क्षण में हैं। दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता है। WHO के नेतृत्व वाले कोविड टूल्स एक्सेलेरेटर तक पहुंच का उद्देश्य महामारी से निपटने के लिए उपकरणों का विकास, उत्पादन, खरीद और वितरण करना है। उन्होंने कहा कि 23.4 बिलियन डॉलर का फंड दुनिया के खरबों डॉलर के आर्थिक नुकसान की तुलना में काफी कम है। डॉ. टेड्रोस ने कहा, एसीटी-एक्सेलरेटर के लिए फंड देना हम सभी के लिए एक वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिएं जरूरी है। अब कार्रवाई करने का समय है। अब तक केवल 0.4% टेस्ट और 0.5% वैक्सीन खुराक का उपयोग कम आय वाले देशों में किया गया है, जो दुनिया की आबादी का 9% हैं। WHO ने कहा कि उसकी योजना एसीटी-ए को गरीब देशों को टारगेट करना है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा, यह असमानता अफ्रीकी महाद्वीप में ज्यादा दिखाई देती है, यहां सिर्फ 8% आबादी को कोरोना वैक्सीन की एक खुराक मिली है। 54 में से केवल 5 अफ्रीकी देशों को WHO के साल के अंत में अपनी 40% आबादी को पूरी तरह से टीका लगाने के लक्ष्य को पूरा करने का अनुमान है।
यह भी पढ़ें
- अमरीका ने ‘X Gender’ के साथ जारी किया पहला पासपोर्ट, जानिए यह किसके लिए है
ACT-A ने Covax फैसिलिटी को जन्म दिया था, जिसे यह सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया था कि गरीब देशों में भी वैक्सीन पहुंचे, क्योंकि पहले भविष्यवाणी सही साबित हुई थी, जिसमें कहा गया था कि अमीर देश वैक्सीन प्रोडक्शन लाइन को हथिया लेंगे और गरीब देशों को कुछ नहीं मिलेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक, Covax ने 144 क्षेत्रों में 425 मिलियन खुराक की डिलीवरी की है। WHO की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इस योजना के लिए दान की गई एक अरब से अधिक खुराक देने का वादा किया गया था, लेकिन केवल लगभग 15% ही वास्तव में सफल हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 62 देशों ने बूस्टर देना शुरू कर दिया है और दूसरे देश इस पर कदम उठाने पर सोच रहे हैं। स्वामीनाथन ने कहा कि हर दिन लगभग एक मिलियन बूस्टर खुराक इंजेक्ट किए जा रहे थे यानी कम आय वाले देशों में लगाए जा रहे टीकों की संख्या से भी तीन गुना।
WHO साल के अंत तक बूस्टर पर राहत चाहता है, ताकि गरीब देशों के लिए मुक्त दी जा सके। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने महामारी के दौरान आपातकालीन उपयोग के लिए छह टीकों को अधिकृत किया है। संगठन के टीके प्रमुख मारियांगेला सिमाओ ने कहा कि एजेंसी भारत के भारत बायोटेक सहित आठ उम्मीदवारों का आंकलन कर रही है, जिस पर वह अगले सप्ताह प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रही है।