एसोसिएटेड प्रेस-एनओआरसी सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स रिसर्च के एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, हर 10 में से 6 उत्तरदाताओं ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में प्रभावी ढंग से सेवा करने के लिए बाइडन की मानसिक क्षमता पर उन्हें बहुत या बिलकुल भी भरोसा नहीं है। ठीक ऐसी ही चिंता 77 वर्षीय ट्रंप की मानसिक क्षमता को लेकर भी जताई गई है। बाइडन को एक विशेष वकील की रिपोर्ट के चलते उम्र को लेकर अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइडन की याददाश्त ‘धुंधली’,’दोषपूर्ण’, ‘खराब’ है।
डॉनल्ड ट्रंप 77 साल की उम्र में बाइडन से सिर्फ चार साल छोटे हैं। उनका संभावित दोबारा मुकाबला उन्हें इतिहास में सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना देगा। यदि बाइडन फिर से निर्वाचित होते हैं, तो वे सबसे उम्रदराज मौजूदा राष्ट्रपति के रूप में अपना ही रेकॉर्ड तोड़ देंगे, जबकि अगर ट्रंप जीते तो दूसरे सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे। कार्यकाल के अंत में ट्रंप 82 वर्ष के होंगे और बाइडन 86 वर्ष के।
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार निक्की हेली ने अब तक दौड़ में आगे चल रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को हरा दिया। निक्की ने यह जीत वाशिंगटन डीसी के प्राइमरी चुनाव में हासिल की। देश की राजधानी में निक्की की प्रतीकात्मक जीत अमरीका की लंबी नामांकन प्रक्रिया ‘सुपर ट्यूजडे’ के निर्णायक दिन से ठीक एक दिन पहले सोमवार को हुई है। अब सबकी नजर सुपर ट्यूजडे पर है। 5 मार्च, मंगलवार को देश के 15 राज्य और एक यूएस टेरीटरी समोआ रिपब्लिकन उम्मीदवारों के लिए एक साथ मतदान करेगी। आमतौर पर सुपर ट्यूजडे में आगे रहने वाला ही रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होता है। उधर, वाशिंगटन डेमोक्रेटिक प्राइमरी जून में होगी।
अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने डॉनल्ड ट्रंप को बड़ी राहत दी है। शीर्ष कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कोलोराडो राज्य में राष्ट्रपति के लिए प्राइमरी चुनाव लडऩे पर रोक वाले राज्य कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। ट्रंप के राष्ट्रपति का चुनाव लडऩे में ये एक बड़ा रोड़ा था। फैसले के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘अमरीका के लिए बड़ी जीत!’
वर्ष 2020 में अमरीकी संसद पर हमले की घटना को आधार बनाते हुए ट्रंप के प्राइमरी चुनाव लडऩे पर रोक लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों ने 5-4 के बहुमत से कहा कि संविधान राज्यों को राष्ट्रपति उम्मीदवार को राष्ट्रीय पद से अयोग्य ठहराने की इजाजत नहीं देता है और राज्यों के पास केंद्रीय उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराने की शक्ति नहीं है, यह सिर्फ संसद कर सकती है।