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Moscow Terror Attack : मॉस्को हमले के बाद राजनीति में क्या आया है बदलाव! रूसी मीडिया पर पुतिन की कितनी है पकड़ ?, पढ़ें

World News In Hindi : भौगोलिक भारत से बाहर भी एक भारत है। वह है विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की आत्मीयता का भारत। भारतीयों की तरह प्रवासी भारतीयों का भी अपना योगदान और मुकाम है। ऐसी ही एक हस्ती हैं नीदरलैंड ( Netherlands) में रह रहे प्रवासी भारतीय लेखक ( NRI News in Hindi ) रामा तक्षक ( Rama Takshak), जिन्होंने सम सामयिक घटनाचक्र पर सीधे नीदरलैंड से पत्रिका के लिए एक्सक्लूसिव विचार व्यक्त किए :
 

Mar 29, 2024 / 01:46 pm

M I Zahir

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Internationl News in Hindi : नीदरलैंड में रह रहे भारतीय मूल के प्रवासी लेखक रामा तक्षक ने दुनिया में तेजी से बदल रहे घटनाक्रम पर गहन चिंतन मनन करने के बाद करंट इश्यू पर पत्रिका के लिए अपने विचार पेश किए, प्रस्तुत हैं उनके विचार उनके शब्दों में खास आपके लिए।

रूसी व्यवस्था में हिंसा एक सामान्य बात
मॉस्को के कोरकस सिटीहाल थिएटर पर आतंकवादी हमले (Moscow Terror Attack) के बाद बहुत कुछ बदल गया है। केवल रूस की शांति और कानून व्यवस्था ही नहीं, आतंकवाद को देखने का नजरिया और राजनीति भी बदल गए हैं। इस वीभत्स घटना से रूस की राजनीति ही नहीं, वैश्विक राजनीति में भी नया मोड़ आ गया है। एक तरह किरगिस्तान के चार आतंकी पकड़ लिए गये हैं। इन चारों आतंकवादियों को कोर्ट में पेश करने जाते समय, एक आतंकी का कान गायब है। एक की आंख नीली है और मुंह पर काफी सूजन है। तीसरा आतंकी व्हील चेयर में फफोलों सी सूजी हुई आंख के साथ बेहोशी सी में, बिल्कुल चुप है। इस विषय पर डेरेक सावर ने कहा, “रूसी व्यवस्था में हिंसा एक सामान्य बात हो गई है। यूक्रेन में रूसी हिंसा जगजाहिर है। सीरिया में भी रूसी सेना का कहर किसी से छिपा नहीं है।”

रूसी मीडिया पर पुतिन की पकड़


यह तथ्य बहुत ध्यान देने लायक है कि थिएटर की इस दर्दनाक आतंकी घटना के एक डेढ़ घंटे बाद, रूसी टीवी पर इस घटना का प्रसारण हुआ। जबकि पूरी दुनिया में इस आतंकी हमले की लपटों की खबरें प्रसारित की जा रही थीं। रूसी टीवी की इस देरी पर डेरेक सावर का कहना है कि रूसी मीडिया पर पुतिन की पकड़ है। रूसी मीडिया का सारा प्रसारण प्रोग्राम पुतिन की टीम तय करती है।

अमरीका ने पहले ही चेतावनी दी थी


पुतिन ने अपने शोक संदेश में “आतंकवादियों को यूक्रेन की सीमा से पहले पकड़ लिया गया है। यूक्रेन में इन आतंकियों के स्वागत की पूरी तैयारी थी। इस आतंकवादी हमले से जुड़े लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।”
जबकि आइसिस की एक विंग ने इस हिंसक हमले की जिम्मेदारी ली है। अमरीका ने 7 मार्च को ही रूस में रह रहे अमरीकी नागरिकों को चेतावनी दी थी कि वे भीड़ से दूर रहें। अमरीकी गुप्तचर विभाग ने रूसी एफ एस बी के साथ भी आतंकी हमले की साजिश की सूचना साझा की थी। पुतिन ने इस अमरीकी सूचना को ‘ब्लैकमेल’ करार देकर, अनसुना कर दिया था। दो दिन बाद पुतिन ने इस हमले में आइसिस आतंकी होने की बात को स्वीकार करते हुए, इस हमले के पीछे यूक्रेन के जुड़े होने की बात कही है। इधर यूक्रेन ने सरकारी तौर पर, इस आतंकवादी घटना में यूक्रेन का हाथ होने से स्पष्ट मना किया है।
कहाँ गए रूसी वर्दी के पहरेदार ?


थिएटर पर आतंकवादी हमले के बाद आतंकवादियों का मास्को से भाग कर निकल जाने पर एक रूसी नागरिक ने रोषपूर्ण प्रतिक्रिया में कहा कि कहाँ गये रूसी वर्दी के पहरेदार ?, जो टैंकों के साथ शहर की मुस्तैदी से सुरक्षा किया करते थे। वे सब सैनिक और टैंक यूक्रेन की सीमाओं पर आग की भेंट चढ़ गए। एक रूसी महिला का कहना था कि पुतिन का ध्यान मुझ जैसे नागरिकों पर है, जो उसकी नीतियों से सहमत नहीं हैं, जिन्हें वह सत्ता के रास्ते में रोड़ा समझते हैं। पुतिन की पूरी ऊर्जा युद्ध और विरोधियों के सफाये में लगी है। अमरीका के द्वारा रूस की एफ एफ बी से साझा की गई आतंकवादी हमले की चेतावनी को ‘ब्लैकमेल’ कह कर अपनी आंखें मूंद लीं।

यूक्रेन युद्ध केवल यूक्रेन के खिलाफ नहीं


यहां एक बात कहना समीचीन है कि यूक्रेन युद्ध केवल यूक्रेन के खिलाफ नहीं है। यह युद्ध नाटो की सीमा पर, नाटो को आंख दिखाने और नाकों चने चबाने का यत्न है। वैसे भी विश्व की महाशक्तियों के इतिहास को देखें तो हम प्रतिवर्ष यही पाते हैं कि महाशक्तियाँ अपना दबदबा कायम रखना चाहती हैं। समकालीन वैश्विक परिदृश्य में चीन अपने चहुंओर पड़ोसी देशों की सीमाओं पर आधिपत्य और अधिकार जता रहा है। अमरीका के वियतनाम युद्ध में संलिप्त होने से लेकर, इराक, सीरिया और अफगानिस्तान युद्ध की बातें अभी फीकी नहीं पड़ी हैं। गाजा युद्ध की बात अभी ताजा है।

‘स्पेशल ऑपरेशन’ अब युद्ध बन चुका


पुतिन द्वारा बिन उकसावे के यूक्रेन पर शुरु किया गया ‘स्पेशल ऑपरेशन’ अब विशेष युद्ध की शक्ल ले चुका है। रूस अब इसे ‘युद्ध’ कह कर ही सम्बोधित करता है। इस वर्ष अमरीकी चुनाव के परिणाम तक तो यूक्रेन युद्ध के शांत होने की संभावना नहीं है। यदि डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत जाते हैं तो रूस में जश्न मनाया जाएगा। पुतिन पर्दे के पीछे से ट्रंप को जिताने में पूरी शक्ति झोंक देंगे। ट्रंप की जीत की संभावना पर यूरोपीय संघ अपनी रक्षात्मक सम्भावनाओं को तलाश करने और सुदृढ़ करने में सक्रिय हो गए हैं। साथ ही यूक्रेन को जीत के लिए भरपूर सहायता करने के प्रयास होने शुरू हो गये हैं। अंतत: यदि यह कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पुतिन को मिला 87 प्रतिशत जनादेश, यूक्रेन युद्ध को जीत तक जारी रखने की मुहर है।
(Disclaimer : ये लेखक रामा तक्षक के अपने निजी विचार हैं, जिनसे संस्थान का सहमत होना आवश्यक नहीं है।)
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लेखक रामा तक्षक : परिचय

रामा तक्षक का जन्म राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड में हुआ। जब 9/11 की घटना ने विदेशी पर्यटन व्यवसाय की चूलें हिला दी थी। इस कारण वे आप सपत्नीक नीदरलैंड में स्थाई रूप से रहने लगे। आप छात्र जीवन से लेखन में सक्रिय रहे हैं।वे भारतीय ज्ञानपीठ, विश्व रंग और वनमाली सृजन पीठ के साथ मिलकर ‘साहित्य का विश्व रंग’ ऑनलाइन आयोजन करते रहे हैं। इस आयोजन के माध्यम से लगभग पांच सौ प्रवासी भारती रचनाकारों को इस मंच से जोड़ा है। इस आयोजन के अलावा वे ‘प्रवास मेरा नया जन्म’ और ‘संस्कृत की वैश्विक विरासत’ शीर्षक से भी ऑनलाइन आयोजन करते हैं।

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