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पश्चिम एशियाः इजरायली हमले का डर, खामेनेई सुरक्षित स्थान पर भेजे गए

नसरल्लाह के साथ ईरानी गार्ड्स कॉर्प्स के डिप्टी कमांडर का भी खात्मा

नई दिल्लीSep 28, 2024 / 08:05 pm

Vivek Kumar Singh

Khamenei
बेरूत. तेलअवीव. लेबनान में सक्रिय ईरान के प्रॉक्सी मिलिटेंट समूह हिजबुल्लाह ने अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि कर दी है। हिजबुल्लाह ने एक बयान जारी कर इसकी पुष्टि कर दी है। इसके पहले इजरायल सेना ने दावा किया था कि बेरूत स्थित हिजबुल्लाह के मुख्यालय पर हवाई हमले में उसने हिजबुल्लाह चीफ को मार गिराया है। इजरायल सेना के अनुसार, सटीक सूचना मिलने के बाद सेना ने हिजबुल्लाह के मुख्यालय पर हवाई हमलों के जरिए 80 टन से ज्यादा बारूद गिराया। जिससे हिजबुल्लाह चीफ बेरूत स्थित मुख्यालय में उस समय ढेर हो गया, जबकि वह दक्षिणी मोर्चे के कमांडर अली कार्की सके तथा अन्य कमांडरों के साथ बैठक कर रहा था। हमले में नसरल्लाह की बेटी भी मारी गई है।
वहीं ईरानी मीडिया के अनुसार, इस हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आइआरजीसी) के एक प्रमुख 58 वर्षीय जनरल अब्बास निलफोरुशान की भी मौत हो गई। अमरीकी ट्रेजरी के अनुसार, निलफोरुशान आइआरजीसी के ऑपरेशन में डिप्टी कमांडर था। इस घटनाक्रम के बाद अब ईरान पर हमले का बदला लेने का दबाव बढ़ गया है, जिससे इजरायल-हमास युद्ध अब एक क्षेत्रीय संघर्ष का रूप ले सकता है। ईरान की ओर से कहा गया है कि उसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है।

खौफ में ईरान, खामेनेई ने की बैठक

हिजबुल्लाह के मारे जाने का खौफ ईरान में साफ तौर पर देखा जा रहा है। नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान में भी शीर्ष नेतृत्व को अपनी जान का डर सताने लगा है। इजरायली हमले के डर से ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई को देश के अंदर किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। इसके पहले शुक्रवार देर रात को खामेनेई ने तेहरान में सुरक्षा परिषद के साथ बैठक की थी।

लेबनान में मजबूत हिजबुल्लाह को नुकसान पहुंचाने के लिए इजरायल बहुत कमजोरः खामेनेई

नसरल्लाह की मौत के बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मुसलमानों से लेबनान के लोगों के साथ खड़े होने और इजरायल के दुष्ट शासन का सामना करने में हिज्बुल्लाह की मदद करने का आह्वान किया है। खामेनेई ने नसरल्लाह का नाम लिए बिना लेबनान के निहत्थे लोगों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि इससे इजरायल के नेताओं की अदूरदर्शिता और मूर्खतापूर्ण नीतियों का पता चलता है। खामेनेई ने कहा, इजरायली अपराधियों को यह पता होना चाहिए कि वे लेबनान में हिजबुल्लाह की बेहद मजबूत उपस्थिति को कोई खास नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत कमजोर हैं। खामेनेई ने कहा, क्षेत्र में सभी प्रतिरोधी ताकतें हिजबुल्लाह का समर्थन करती हैं और उसके साथ खड़ी हैं।

अमरीका में प्रतिबंधित सफीदीन हो सकता है अगला मुखिया

नसरल्लाह की मौत के बाद अब हिजबु्ल्लाह के सामने बड़ी चुनौती होगा अपने ऐसे उत्तराधिकारी की पहचान करना जिसे न केवल लेबनान में हिजबुल्लाह के भीतर समर्थन हासिल हो, जिस पर इजरायल पहले ही भारी हमले कर रहा है। दूसरी तरफ उसे ईरानी शासकों का भी भरोसा हासिल हो। टाइम्स ऑफ इज़राइल की रिपोर्ट के अनुसार, हाशेम सफीदीन को नसरल्लाह के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। नसरल्लाह का चचेरा भाई, सफीदीन वर्तमान में हिजबुल्लाह के राजनीतिक मामलों को देखता है और समूह की जिहाद परिषद में है। सफीदीन को 2017 में अमरीकी विदेश विभाग द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था।

इजरायली ने बढ़ाई सेना की तैनाती

नसरल्लाह की मौत के बाद, लेबनान से बढ़ते संघर्ष की आशंकाओं के बीच इजरायली सेना ने सीमा पर अतिरिक्त रिजर्व सैनिकों को तैनात करते हुए कई बटालियनों को सक्रिय किया है। उधर, इजरायली हमलों के कारण हिजबुल्लाह ने उत्तरी और मध्य इजरायल पर निशाना साधते हुए 60 से ज्यादा रॉकेट दागे हैं। गौरतलब है कि पिछले तीन दिनों में लेबनान में इजरायली हमलों में कम से कम 720 लोग मारे गए हैं।

सऊदी अरब को नहीं फिलिस्तीन मुद्दे की परवाह

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बातचीत में कहा है कि वह व्यक्तिगत रूप फिलिस्तीनी मुद्दे की परवाह नहीं करते हैं। द अटलांटिक में प्रकाशित इस रिपोर्ट में गाजा में युद्ध छिड़ने के बाद क्षेत्र में वाशिंगटन के 11 महीनों के वार्ता प्रयासों का विवरण दिया गया है।

32 साल की उम्र में संभाली थी हिजबुल्लाह की कमान

नसरल्लाह ने 1992 में मात्र 32 साल की उम्र में ही हिजबुल्लाह की कमान संभाल ली थी। उस समय इसने इस संगठन को लेबनान में सरकार का हिस्सा भी बनाया। 2006 में इजराइल के साथ जंग के बाद नसरल्लाह छिपकर रहता था। उसे सार्वजनिक रूप से बहुत कम देखा गया। हिजबुल्लाह की कमान अपने हाथ में लेने के बाद नसरल्लाह ने संगठन को और मजबूत किया और अपनी ताकत बढ़ाई। दुनिया कई बड़ी शक्तियों के साथ गठबंधन भी किया। उसके नेतृत्व में हिजबुल्लान लेबनान में मजबूत राजनीतिक ताकत भी बन गया था।

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