यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विज्ञान विभाग की लौरा पेरिनी ने कहा, फिलहाल हम इस वायरस (Virus) के बारे में ज्यादा नहीं जानते, लेकिन हमें लगता है कि ये शैवाल (Algae) फैलने के कारण पिघलने वाली बर्फ को कम करने के लिए काम आ सकते हैं। बड़े साइज के बावजूद इस वायरस को आंख से सीधे नहीं देखा जा सकता।
अलग-अलग रंग की बर्फ के सैंपल में मिले
शोधकर्ताओं को दो अलग-अलग रंग की बर्फ के सैंपलों के अध्ययन में बड़े वायरस का पता चला। जिन सैंपलों में शैवाल ज्यादा थी, उनमें इन वायरस की मात्रा ज्यादा थी। बड़े वायरस अब भी रहस्यमय जीव हैं। ये बाकी वायरसों से काफी अलग होते हैं। इनमें कई एक्टिव जीन होते हैं, जो इन्हें डीएनए रिपयेर, प्रतिकृति (रेप्लीकेशन) और प्रतिलेखन (ट्रांसक्रिप्शन) में सक्षम बनाते हैं।
आकार 2.5 माइक्रोमीटर तक
आम तौर पर वायरस बैक्टीरिया से बहुत छोटे होते हैं। सामान्य वायरस का आकार 20-200 नैनोमीटर होता है, जबकि सामान्य बैक्टीरिया 2-3 माइक्रोमीटर का होता है। यानी सामान्य वायरस बैक्टीरिया से करीब 1,000 गुना छोटा होता है, लेकिन बड़े वायरस का आकार 2.5 माइक्रोमीटर तक हो सकता है। फिर भी ये आंखों या सूक्ष्मदर्शी से दिखाई नहीं देते। इन्हें सिर्फ विशेष उपकरणों से देखा जा सकता है।