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BrahMos Missile : भारत से वियतनाम का ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना खटाई में पड़ा? ड्रैगन को लगा बुरा, यह है बड़ा कारण

BrahMos Missile भारत की स्वदेशी क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस खरीदने के प्रति वियतनाम ने रुचि दिखाई थी,लेकिन अब इसकी खरीद खटाई में पड़ गई लगती है। इसके पीछे यह वजह सामने आई है।

नई दिल्लीAug 20, 2024 / 05:10 pm

M I Zahir

BrahMos Missile

BrahMos Missile : भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की वियतनाम की योजना पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। इसका प्रमुख कारण वियतनाम और चीन के बीच बढ़ती दोस्ती है। इन दिनों वियतनाम के नये राष्ट्रपति टो लैम चीन के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने 14 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह दीगर बात है कि दोनों देश पहले युद्ध भी लड़ चुके हैं।

कुल 14 समझौतों पर हस्ताक्षर

ध्यान रहे कि फिलीपींस के बाद वियतनाम के भारत से ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile )खरीदने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन, अब इस संभावना पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। चीन इसका कारण बना है। दरअसल, चीन और वियतनाम ने दोनों देशों को कनेक्ट करने वाली रेलवे लाइन से लेकर मगरमच्छों के निर्यात कर कुल 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौतें वियतनामी राष्ट्रपति टो लैम (To Lam) के चीन दौरे पर किए गए हैं। हालांकि, चीन और वियतनाम हमेशा से अच्छे पड़ोसी नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच सन 1979 में लगभग एक महीने का युद्ध भी हो चुका है।

ब्रह्मोस मिसाइल : एक परिचय

ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( DRDO) ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

भारत और वियतनाम रिश्ते

भारत और वियतनाम दोनों मेकांग-गंगा सहयोग के सदस्य हैं, जो भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को विकसित करने और बढ़ाने के लिए बनाया गया है। वियतनाम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने और एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) में शामिल होने के भारत के प्रयास का समर्थन किया है।

जिनपिंग ने वियतनाम को मित्र बताया

टो लैम इस महीने की शुरुआत में ही पार्टी प्रमुख नियुक्त हुए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन को चुना। इसे दोनों कम्युनिस्ट पड़ोसियों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने के साथ-साथ दक्षिण चीन सागर विवाद के बावजूद संबंधों को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है। इस दौरान शी जिनपिंग ने कहा, “चीन ने हमेशा अपने पड़ोस की कूटनीति में वियतनाम को प्राथमिकता दी है, और पार्टी नेतृत्व का पालन करने, अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल समाजवादी मार्ग अपनाने और सुधारों और समाजवादी आधुनिकीकरण के उद्देश्य को गहरा करने में वियतनाम का समर्थन करता है।”

लैम ने भी की चीन की तारीफ

लैम ने भी चीन की जमकर तारीफ की। उन्होंने अपनी यात्रा को चीन के साथ संबंधों को महत्व देने के लिए पार्टी और वियतनामी सरकार की पुष्टि कहा। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने रेलवे लाइन की योजना और उसकी व्यवहार्यता अध्ययन पर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इस मामले में प्रारंभिक समझौता दिसंबर में शी जिनपिंग की वियतनाम यात्रा के दौरान किया गया था। इसमें दोनों देशों को जोड़ने वाली तीन रेलवे लाइनों को बिछाने की परियोजना शामिल हैं। चीन और वियतनाम ने 1950 में राजनयिक संबंध बनाए और 2008 में सहयोग की एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की।
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