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भारत ने फ़िलिस्तीन से दोस्ती निभाई, UN में किया इज़राइल के ख़िलाफ़ वोट, इतने सारे देशों ने किया समर्थन

India On Palestine In UN: संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किए गए प्रस्ताव में भारत ने फ़िलिस्तीन से दोस्ती निभाते हुए उस पर से इज़राइल का कब्ज़ा हटाने की मांग की है।

नई दिल्लीDec 05, 2024 / 06:21 pm

M I Zahir

India On Palestine In UN

India On Palestine In UN : फ़िलिस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN) के प्रस्ताव के समर्थन में भारत ने मतदान किया है। अमेरिका समेत कुल आठ देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया है। वहीं सात देशों ने मतदान से दूरी बनाए रखी। इस प्रस्ताव को भारत ( India) समेत कुल 157 देशों का साथ मिला। इस प्रस्ताव में फ़िलिस्तीन ( Palestine) के क्षेत्र से इज़राइल ( Israel) का कब्जा हटाने की मांग की गई है।

प्रस्ताव में इज़राइल से वापस जाने का आह्वान किया

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें पूर्वी यरुशलम सहित 1967 से कब्जाए गए फिलिस्तीनी क्षेत्र से इज़राइल से वापस जाने का आह्वान किया गया है और पश्चिम एशिया में व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के आह्वान को दोहराया गया है। सेनेगल की ओर से प्रस्तुत ‘फ़िलिस्तीन के प्रश्न का शांतिपूर्ण समाधान’ विषयक मसौदा प्रस्ताव 193 सदस्यीय महासभा में भारी बहुमत से स्वीकार कर लिया गया।

इन देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया

भारत उन 157 देशों में शामिल था जिन्होंने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि आठ सदस्य देशों – अर्जेंटीना, हंगरी, इज़राइल, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पपुआ न्यू गिनी और अमेरिका ने इसके खिलाफ मतदान किया। कैमरून, चेकिया, इक्वाडोर, जॉर्जिया, पैराग्वे, यूक्रेन और उरुग्वे ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

इज़राइली कब्जा समाप्त करने का आह्वान दोहराया

मौखिक रूप से संशोधित रूप में अपनाए गए प्रस्ताव में प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के आधार पर ‘पश्चिम एशिया में बिना किसी देरी के व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की प्राप्ति’ और पूर्वी यरुशलम सहित 1967 में शुरू हुए इज़राइली कब्जा समाप्त करने का आह्वान दोहराया गया।

संयुक्त राष्ट्र में यह है प्रस्ताव

प्रस्ताव में ‘पूर्वी यरुशलम सहित 1967 से कब्जाए गए फ़िलिस्तीनी क्षेत्र से इज़राइल की वापसी’ और फ़िलिस्तीनी लोगों के अधिकारों, मुख्य रूप से आत्मनिर्णय के अधिकार और उनके स्वतंत्र राज्य के अधिकार को साकार करने का आह्वान किया गया। प्रस्ताव के माध्यम से महासभा ने अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, इज़राइल और फ़िलिस्तीन के द्वि-राष्ट्र समाधान के लिए अपने अटूट समर्थन की पुष्टि की, जिसके तहत दोनों 1967 से पूर्व की सीमाओं के आधार पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर शांति व सुरक्षा के साथ एक साथ रहेंगे।

गाज़ा पट्टी फ़िलिस्तीन का हिस्सा होगी

प्रस्ताव में गाजा पट्टी में जनसांख्यिकीय या क्षेत्रीय परिवर्तन के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया गया, जिसमें गाजा के क्षेत्र को सीमित करने वाली कोई भी कार्रवाई शामिल है। प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया कि गाजा पट्टी 1967 में कब्जे वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्र का एक अभिन्न हिस्सा है और यह ‘द्वि-राष्ट्र समाधान के दृष्टिकोण की पुष्टि करता है, जिसमें गाजा पट्टी फिलिस्तीन का हिस्सा होगी।’

सीरिया के इलाके पर भी किया कब्जा

प्रस्ताव में सैन्य हमलों, विनाश और आतंकवादी कृत्यों सहित हिंसा के सभी कृत्यों तथा उकसावे वाले सभी कृत्यों को तत्काल और पूर्ण रूप से रोकने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। भारत ने महासभा में एक और प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जिसमें मांग की गई थी कि प्रासंगिक सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के कार्यान्वयन में इज़राइल कब्जे वाले सीरियाई गोलन से हटे और जून 1967 में तय सीमा रेखा पर लौट जाए।

इस प्रस्ताव के पक्ष में 97 मत पड़े

गोलन हाइट्स दक्षिण-पश्चिमी सीरिया में एक चट्टानी पठार है, जो दमिश्क (सीरिया की राजधानी) से लगभग 60 किलोमीटर दक्षिण में है। यह दक्षिण में यारमौक नदी और पश्चिम में गैलिली सागर से घिरा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र इस क्षेत्र को सीरिया का हिस्सा मानता है। हालांकि, 1967 में छह दिवसीय युद्ध के दौरान, इज़राइल ने गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया था। इस प्रस्ताव के पक्ष में 97 मत पड़े, जबकि आठ ने इसके विरोध में मतदान किया, वहीं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इज़राइल, ब्रिटेन और अमेरिका सहित 64 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
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