हर साल 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। 17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद इस दिवस की स्थापना हुई। इसे अंतर्राष्ट्रीय घरेलू हिंसा का समाप्ति दिवस भी कहा जाता है। इस दिन को दुनियाभर में महिलाएं हिंसा के विभिन्न रूपों और मुद्दे की वास्तविक प्रकृति के अधीन के तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
देखा जाए तो दुनियाभर में तीन में से एक महिला ने मनोवैज्ञानिक, यौन और शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा मानवाधिकार का उल्लंघन है और इसके पीछे की वजह महिलाओं के साथ भेदभाव सहित शिक्षा, गरीबी, एचआईवी और शांति जैसे मुद्दों से जुड़ा है।
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वहीं, भारतीय मीडिया में अक्सर घरेलू हिंसा से जुड़ी खबरें देखने को मिलती हैं। हालांकि, भारत में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने और खत्म करने के कई कानून हैं, लेकिन अभी भी संबंधित कानूनों और नीतियों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए व्यवस्थित प्रयास करने की आवश्यकता है। वास्तव में घरेलू हिंसा एक वैश्विक समस्या है। लोग कैसे कानून के माध्यम से इसका विरोध करते हैं, और अपने अधिकारों व हितों की रक्षा कर सकते हैं? इस मामले पर ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान केंद्रित हुआ है। अब हम देखते हैं कि चीन इस मामले को कैसे देखता है और कैसे इसका समाधान करता है। वर्ष 1949 में जब नये चीन की स्थापना हुई, तो महिलाओं को मुक्ति मिली है। वे धीरे-धीरे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में शामिल हुए हैं। वर्ष 1950 में चीन लोक गणराज्य ने पहला विवाह कानून जारी किया। इसमें विवाह की स्वतंत्रता और एक पत्नी के महत्व पर जोर दिया गया। वर्तमान में महिलाओं की कार्य क्षमताओं को ज्यादा से ज्यादा पहचाना जा रहा है। समाज में महिलाओं की भूमिका भी दिन-ब-दिन महत्वपूर्ण बन रही है।
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