कुछ अभी भी मानते हैं धरती चपटी
हजारों बरसों पहले ही साबित हो चुका है कि पृथ्वी गोल है, लेकिन फिर भी कुछ लोग आज भी मानते हैं कि पृथ्वी चपटी है। इस चर्चा पर पूर्ण विराम लगाने के लिए कोलोराडो के एक पादरी विल डफी ‘द फाइनल एक्सपेरिमेंट’ नामक एक अभियान में चार फ्लैट अर्थर्स (जो मानते हैं कि पृथ्वी चपटी है) और चार ग्लोब अर्थर्स (जो मानते हैं कि पृथ्वी गोल है) को अंटार्कटिका ले गए, उन्हें वहां आधी रात का सूरज दिखाया गया, जो सिर्फ गोल
पृथ्वी पर ही संभव है। ऐसी खगोलीय घटना सिर्फ एक तिरछी और घूमती हुई गेंद जैसे आकार पर ही संभव है।
फ्लैट अर्थ थ्योरी (Flat Earth Theory)
फ्लैट अर्थ थ्योरी वह विश्वास है कि पृथ्वी गोल नहीं, बल्कि चपटी या समतल है। यह सिद्धांत प्राचीन काल से ही कुछ लोगों के बीच मौजूद रहा है, लेकिन विज्ञान और खगोलशास्त्र के विकास के साथ यह साबित हो गया कि पृथ्वी गोल है। फिर भी, आज भी कुछ लोग इस पुरानी और गलत धारण को मानते हैं।
फ्लैट अर्थ थ्योरी और इसकी स्वीकार्यता
फ्लैट अर्थ थ्योरी के अनुयायी मानते हैं कि पृथ्वी एक फ्लैट डिस्क की तरह होती है, जिसमें आकाश और पृथ्वी के बीच कोई गोल आकार नहीं होता। उनके अनुसार, सूर्य और चंद्रमा केवल पृथ्वी के ऊपर परिभ्रमण करते हैं, न कि उनकी परिक्रमा करते हैं। इसके विपरीत, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, पृथ्वी एक गोलाकार और घूमती हुई ग्रह है, जिसे सैकड़ों सालों की वैज्ञानिक खोजों, अंतरिक्ष यात्राओं और खगोलीय साक्ष्यों से साबित किया गया है।