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इस यूट्यूबर ने अपने ही यकीन को चुनौती दी और 31.4 लाख रुपए खर्च कर यह जाना कि धरती गोल है !

Flat Earth Theory : यह एक रोचक खबर है। एक व्यक्ति ने अपने पुख्ता यकीन को चुनौती दी और सच्चाई का सामना किया। पहले धरती के चपटी होने के पक्षधर यूट्यूबर जेरन कैम्पनेला ने अंटार्कटिका तक यात्रा की और इस यात्रा के दौरान अपना सिद्धांत गलत साबित होते हुए देखा।

नई दिल्लीDec 22, 2024 / 01:10 pm

M I Zahir

Earth shape

Flat Earth Theory : मशहूर यूट्यूबर जेरन कैम्पनेला ने धरती गोल नहीं चपटी है, इस बात को साबित करने के लिए कैलिफोर्निया से अंटार्कटिका तक लगभग 14,000 किलोमीटर की यात्रा की। यात्रा के दौरान कैम्पनेला ने 37,000 डॉलर (लगभग 31.4 लाख रुपए) खर्च किए। कैम्पनेला यह मानते थे कि फ्लैट अर्थ थ्योरी यानी धरती चपटी है ( Flat Earth Theory ) और इसी सिद्धांत को परखने के लिए उन्होंने यह यात्रा की। यात्रा शुरू करने से पहले, कैम्पनेला को यकीन था कि अंटार्कटिका सिर्फ एक बर्फ की दीवार है, जहां सूर्य हर दिन उगता और डूबता है। अंटार्कटिका पहुंचने पर कैम्पनेला को एहसास हुआ कि दक्षिणी गोलार्ध की गर्मियों के दौरान अंटार्कटिका में सूर्य नहीं उगता है और बाकी सभी लोग सही थे। कैम्पनेला ने अपने चैनल पर कहा, कभी-कभी जीवन में हम गलत होते हैं। मुझे विश्वास था कि 24 घंटे का सूरज नहीं होता है और मैं इस बारे में बहुत निश्चित था। लेकिन अब यह यात्रा करने के बाद यह मानता हूं कि सूरज 24 घंटे रहता है।

कुछ अभी भी मानते हैं धरती चपटी

हजारों बरसों पहले ही साबित हो चुका है कि पृथ्वी गोल है, लेकिन फिर भी कुछ लोग आज भी मानते हैं कि पृथ्वी चपटी है। इस चर्चा पर पूर्ण विराम लगाने के लिए कोलोराडो के एक पादरी विल डफी ‘द फाइनल एक्सपेरिमेंट’ नामक एक अभियान में चार फ्लैट अर्थर्स (जो मानते हैं कि पृथ्वी चपटी है) और चार ग्लोब अर्थर्स (जो मानते हैं कि पृथ्वी गोल है) को अंटार्कटिका ले गए, उन्हें वहां आधी रात का सूरज दिखाया गया, जो सिर्फ गोल पृथ्वी पर ही संभव है। ऐसी खगोलीय घटना सिर्फ एक तिरछी और घूमती हुई गेंद जैसे आकार पर ही संभव है।

फ्लैट अर्थ थ्योरी (Flat Earth Theory)

फ्लैट अर्थ थ्योरी वह विश्वास है कि पृथ्वी गोल नहीं, बल्कि चपटी या समतल है। यह सिद्धांत प्राचीन काल से ही कुछ लोगों के बीच मौजूद रहा है, लेकिन विज्ञान और खगोलशास्त्र के विकास के साथ यह साबित हो गया कि पृथ्वी गोल है। फिर भी, आज भी कुछ लोग इस पुरानी और गलत धारण को मानते हैं।

फ्लैट अर्थ थ्योरी और इसकी स्वीकार्यता

फ्लैट अर्थ थ्योरी के अनुयायी मानते हैं कि पृथ्वी एक फ्लैट डिस्क की तरह होती है, जिसमें आकाश और पृथ्वी के बीच कोई गोल आकार नहीं होता। उनके अनुसार, सूर्य और चंद्रमा केवल पृथ्वी के ऊपर परिभ्रमण करते हैं, न कि उनकी परिक्रमा करते हैं। इसके विपरीत, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, पृथ्वी एक गोलाकार और घूमती हुई ग्रह है, जिसे सैकड़ों सालों की वैज्ञानिक खोजों, अंतरिक्ष यात्राओं और खगोलीय साक्ष्यों से साबित किया गया है।
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