भारत का जर्मनी के साथ वर्ष 2000 में समझौता हुआ था
भारत के साथ जर्मनी का वर्ष 2000 में रणनीतिक साझेदारी का समझौता हुआ था, लेकिन रक्षा सहयोग, एशिया प्रशांत में भारत की भूमिका और निवेश के मामलों में दोनों देशों के संबंध स्थिर हैं। मोदी-शोल्ज की शुक्रवार को होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में इन मुद्दों पर चर्चा से संबंध तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। शोल्ज के साथ बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी भारत आ रहा है। उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली जर्मन कंपनियों के लिए भारत में निवेश का विस्तार आसान बनाएगी।
आइटी, स्वास्थ्य, निर्माण क्षेत्र में भारतीयों को अवसर
जर्मनी में कुशल कामगारों की कमी है जबकि भारत में कुशल कामगार बनाने पर जोर है। माना जा रहा है कि शोल्ज की भारत यात्रा से जर्मनी में कुशल भारतीय कामगारों के लिए नए अवसर खुलेंगे। सदभावना संकेत (गुडविल जैस्चर) के तहत शोल्ज प्रशासन ने चांसलर की भारत यात्रा से पहले ही डिजिटल वीजा, जल्दी वीजा और जर्मनी में रह रहे भारतीयों को मदद का वादा जैसे कदम उठाए हैं। जर्मनी में करीब छह लाख कामगारों की कमी है। उसे आईटी, निर्माण और स्वास्थ्य क्षेत्र में कुशल कामगारों की जरूरत है जिसकी आपूर्ति भारत से हो सकती है। शोल्ज की भारत यात्रा के दौरान कुछ घोषणाएं हो सकती हैं।
पनडुब्बी खरीद समझौते पर कशमकश
भारतीय नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए करीब 40000 करोड़ रुपए का खरीद समझौता भी दोनों देशों के बीच बातचीत का अहम बिंदु होगा। इस सौदे के लिए जर्मनी की कंपनी टीकेएमएस और स्पेन की कंपनी नवांतिया के बीच स्पर्धा है। ये कंपनियां अपनी भारतीय सहयोगी कंपनियों के साथ भारत में ही पनडुब्बियां बनाएंगी। जर्मनी पिछले कुछ समय से इस सौदे को हासिल करना चाहता है जबकि भारत रक्षा उत्पादन में सहयोग और निवेश को अगले स्तर तक ले जाना चाहता है। दृष्टिकोण पत्र में बताया भारत का महत्व
जर्मन विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह जारी दृष्टिकोण पत्र में भारत के लिए यह अहम बातें कही हैं :
-भारत की अंतरराष्ट्रीय महत्ता, स्थिर लोकतंत्र और ग्लोबल साउथ में प्रमुख स्थान
- रूस-यूक्रेन युद्ध कोसमाप्त कराने में भारत दे सकता योगदान।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के साथ गहरे आर्थिक संबंधों का महत्व।
- भारत के साथ मजबूत सुरक्षा साझेदारी के तहत रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच परामर्श, अधिक सैन्य आदान-प्रदान।
भारत-जर्मनी संंबंध: एक नज़र
- भारत में जर्मनी की 2000 कंपनियां कार्यरत, 7.50 लाख को रोजगार।
- दोनों देशों के बीच करीब दो लाख करोड़ का व्यापार।
- जर्मनी में रहते हैं 1.37 लाख कुशल भारतीय कामगार।
- जर्मनी की 60 फीसदी कंपनियां भारत में काम करने की इच्छुक।
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