मानव जीवन के लिए संभावनाएं तलाश कर रहे वैज्ञानिक
एक अध्ययन में इस बात का पता लगाया जा रहा है कि जीरो-ग्रेविटी के वातावरण में पानी के अलग-अलग स्तर पौधों की वृद्धि पर क्या असर डालते हैं। पृथ्वी पर पानी ऊपर से नीचे की ओर बहता है, जिससे पौधों की जड़ों को पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद मिलती है, लेकिन माइक्रोग्रेविटी में पानी अलग तरह से व्यवहार करता है। यह शोध भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है, जो चंद्रमा, मंगल और उससे आगे है, जहां वैज्ञानिक मानव जीवन के लिए संभावनाएं तलाश कर रहे हैं।
पौधे कैसे हो सकते हैं माइक्रो ग्रेविटी के अनुकूल
अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पौधे माइक्रो ग्रेविटी के अनुकूल कैसे हो सकते हैं। इसके अलावा पृथ्वी पर टिकाऊ खेती के तरीकों को बेहतर बनाने में किस तरह से मदद कर सकते हैं, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान हो सकता है। विलियम्स का काम पौधों की वृद्धि से कहीं आगे का है। वे स्टडी अंतरिक्ष में लंबे समय तक चलने वाले नासा के व्यापक मिशनों में योगदान दे रही हैं। लेट्यूस प्रयोग से हासिल डेटा बंद-लूप प्रणालियों के विकास का समर्थन करता है जो पानी, हवा और पोषक तत्वों को रीसायकल करते हैं, जिससे पृथ्वी से पुनः आपूर्ति मिशनों पर निर्भरता कम होती है। यह स्टडी लंबे समय तक अंतरिक्ष मिशनों के लिए आधार तैयार करती है। कब वापस आएंगी सुनीता विलियम्स
सुनीता विलियम्स इसी साल 5 जून को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष में गई थीं। उन्हें एक सप्ताह में वापस लौटना था, लेकिन स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी के बाद उनकी वापसी टाल दी गई। आखिरकार सितंबर में स्टार लाइनर बिना क्रू के धरती पर वापस लौटा। सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी
बुच विल्मोर अब स्पेसएक्स के अंतरिक्ष यान से अगले साल फरवरी में वापस धरती पर लौटेंगे।