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America में 7.1 करोड़ लोग पी रहे ‘ज़हरीला’ पानी, लाखों भारतीय भी हो रहे पीने के लिए मजबूर

Water: पानी अगर साफ न हो तो सेहत पर बहुत बुरा असर होता है। लेकिन अगर पानी के पीने का स्रोत ही प्रदू​षित हो जाए और पीने के लिए ‘ज़हरीला’ पानी मिले तो इसे आप क्या कहेंगे ?

नई दिल्लीOct 27, 2024 / 08:04 pm

M I Zahir

Forever Chemicals

Water: अमेरिकी पत्रिका ‘साइंस’ हाल ही में प्रकाशित एआई मॉडल का उपयोग करते हुए एक नया अध्ययन सामने लाई है कि मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ‘फॉरएवर कैमिकल्स’ ने दीर्घकालिक और व्यापक उपयोग के कारण अमेरिका में पीने के पानी के स्रोतों वाले भूजल को प्रदूषित ( polluted water) कर दिया है और इससे प्रभावित जनसंख्या 7.1 करोड़ से 9.5 करोड़ तक हो सकती है। ध्यान रहे कि अमेरिका में प्रवासी भारतीय रहते हैं और इंडो अमेरिकन भारतीयों की संख्या 46 लाख से ज़्यादा है। यह देश की कुल आबादी का 1.5 फ़ीसदी है। जानकारी के अनुसार’फॉरएवर कैमिकल्स’ ( forever chemicals) मुख्य रूप से पेरफ़्लुओरिनेटेड और पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थों ( PFAC) को संदर्भित करता है, जो दशकों तक पर्यावरण में बने रह सकते हैं और पीने के पानी के संकट (drinking water crisis) के कारण अक्सर कैंसर, जिगर और हृदय की क्षति और शिशुओं और बच्चों में बिगड़ा प्रतिरक्षा और विकास के नुकसान से जुड़े होते हैं। हालांकि, अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने बड़ी सार्वजनिक जल प्रणालियों में पीएफएएस का हल करने के लिए नई निगरानी आवश्यकताओं को पेश किया है। लेकिन, इसमें अधिकतर छोटी जल प्रणालियों या घरेलू कुओं को शामिल नहीं किया गया है।

भूजल से पीएफएएस निकालना बहुत महंगा

शोधकर्ताओं का कहना है कि अमेरिका में भूजल संदूषण (groundwater contamination)बहुत आम है, और बहुत सारी शहरी भूमि, उच्च जनसंख्या घनत्व और उथले कुएं वाले क्षेत्र विशेष रूप से असुरक्षित हैं। क्योंकि, भूजल से पीएफएएस निकालना बहुत महंगा है, इसलिए कई घरेलू कुएं मालिक पीने के पानी के स्रोत भूजल का परीक्षण या उपचार नहीं करते हैं।

फॉरएवर कैमिकल्स और इसके दुष्प्रभाव

फॉरएवर कैमिकल्स’ ऐसे रासायनिक पदार्थों के लिए उपयोग किया जाता है जो पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं और आसानी से अपघटित नहीं होते। इनमें से सबसे प्रमुख पेरफ्लुओरिनेटेड और पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थ (PFAS) हैं। ये रसायन दशकों तक पर्यावरण में बने रह सकते हैं, जिससे वे जल, मिट्टी और वायुमंडल में फैल जाते हैं। फॉरएवर कैमिकल्स का सेवन करने से कैंसर, जिगर और हृदय की समस्याएं, तथा बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली और विकास में समस्याएं हो सकती हैं। ये रसायन विभिन्न उत्पादों में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि वाटर-रेपेलेंट कोटिंग्स, फायर फाइटिंग फोम, और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं में होते हैं।

नई नीतियाँ बनाई जा रही हैं

कई देशों में फॉरएवर कैमिकल्स’ रसायन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने या उनके स्तर को नियंत्रित करने के लिए नई नीतियाँ बनाई जा रही हैं, लेकिन छोटी जल प्रणालियों को अक्सर इससे बाहर रखा जाता है। इन रसायनों से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है, और जल गुणवत्ता में गिरावट उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। फॉरएवर कैमिकल्स की समस्या वैश्विक स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चुनौती बन चुकी है।
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इस देश में 43% पंजाबी तो 20% लोग बोलते हैं हिन्दी, भारतीयों ही नहीं, भारतीय भाषाओं का भी है बोलबाला

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