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अफ्रीकी शेरों के लिए परेशानी बन रही हैं चींटियों की अलग प्रजाति

Ants Becoming Problem For Lions: अफ़्रीकी शेरों के लिए चींटियों की अलग प्रजाति परेशानी की वजह बन गई है। कैसे? आइए जानते हैं।

Feb 28, 2024 / 09:46 am

Tanay Mishra

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Lion in forest

क्या चींटियाँ भी दुनिया के सबसे बड़े शिकारी जीव शेरों के लिए परेशानी बन सकती हैं? तीन दशक तक चले अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने कहा है कि पूर्वी अफ्रीका (केन्या) के बड़े वन क्षेत्र में यह सच साबित हो रहा है। साइंस मैग्जीन में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि इस इलाके में एक छोटी, अहानिकर दिखने वाली आक्रामक चींटी की वजह से अफ्रीकी शेरों के लिए अपने सबसे प्रिय शिकार ज़ेबरा पर घात लगाकार हमला करना मुश्किल हो रहा है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान विभाग के इकॉलोजिस्ट और प्रोफेसर टोड पामर के अनुसार यहाँ छोटी, पर आक्रमणकारी चींटियाँ चेनबद्ध तरीके से उन संबंधों को तोड़ रही हैं कि किस जीव को कहाँ पर खाया जाता है।


तीन चरणों में चींटियों ने किया यह काम :-

1) बदला ईको-सिस्टम

अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि अफ्रीकी वन्यजीव क्षेत्र ओल पेजेटा नेचर कंजरवेंसी में बबूल के पेड़ों की संख्या कम होने का चींटियों से गहरा संबंध देखा गया। बबूल के इन पेड़ों के बल्बनुमा कांटों में चींटिंयों की एक प्रजाति घोंसला बनाती आ रही हैं। अपने घर की रक्षा के लिए यह चींटियाँ इन पेड़ों की पत्तियाँ खाने वाले विशाल जीवों जैसे हाथियों, जिराफों और अन्य शाकाहारी जीवों पर छुपकर हमला करती हैं और उन्हें काटती हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि केन्या के इन जंगलों में पेड़ों की आबादी को बचाने में इन चींटियों का बड़ा योगदान रहा है, जहाँ कि बड़ी संख्या में पत्तियाँ खाने वाले विशाल जीव मौजूद हैं। लेकिन एक अन्य बड़े मुख वाली चींटी के आगमन ने इस परस्पर निर्भरता के इको-सिस्टम को बदल दिया।

2) बड़े मुख वाली चींटी की दस्तक

करीब 15 साल पहले इन बबूल के पेड़ों पर एक और बड़े मुख की कीटभक्षक चींटियों (फीडोले मेगासेफला) ने दस्तक दी। इन कीटभक्षक चींटियों के कारण पेड़ों की रक्षा करने वाली चींटियों की कॉलोनियां खत्म होने लगीं। पर इन बड़े मुंह वाली चींटियों ने पेड़ों की रक्षा करने का काम नहीं किया। इस कारण हाथी, जेबरा, भैंसा अब बबूल के पेड़ों को खाने लगे। इससे बबूल के पेड़ तेजी से कम हुए हैं।

3) पेड़ कम होने से शेरों को नहीं मिलती घात लगाने की जगह

पेड़ों के कम होना का सीधा असर आश्चर्यजनक रूप से शेरों पर भी हुआ, जो घात लगाकर हमला करने वाले शिकारी होते हैं। पेड़ खत्म हो जाने इन्हें छिपने की जगह नहीं मिल पाती और दूर से ही नजर आ जाते हैं। इस कम वृक्ष सघनता के कारण अब शेर अपने पसंदीदा शिकार ज़ेबरा पर घात लगाकर हमला करने में पहले जितने सफल नहीं हो पा रहे। कम पेड़ों की वजह से फुर्तीले ज़ेबरा को शेर दूर से ही दिख जाते हैं।

इस तरह हुआ अध्ययन

तीन दशकों से अधिक समय तक चले इस अध्ययन में छिपे हुए कैमरा ट्रैप, कॉलर आइडेंटिटी वाले शेरों की उपग्रहों द्वारा ट्रैकिंग और सांख्यिकीय मॉडलिंग का उपयोग किया गया। इसके जरिए चींटियों, पेड़ों, हाथियों, शेरों, ज़ेबरा और भैंसों के बीच अंतक्रिया की जटिल बुनावट को बदलते दिखाया गया है।

शेरों के लिए बड़ी मुश्किल

शेर अब भैंसों को शिकार बना रहे हैं। पर भैंसे ज़ेबरा से बड़ी होती हैं और समूहों में घूमती हैं। इससे उनका शिकार करना आसान नहीं होता। शेरों के लिए यह मुश्किल स्थिति है।

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