भारत का सर बुलंद किया
विलक्षण साहित्यकार सुधा ओम ढींगरा के साहित्य पर नजर डालते हैं तो हम पाते हैं कि उन्होंने अमरीका में रहते हुए भी इतना सारा और इतना अच्छा साहित्य रचा है कि यह देख कर खुशी होती है कि भारत की इस बेटी ने अमरीका में भारत का सर बुलंद किया है। अगर यह कहें तो सही होगा कि उन्होंने भारत की शीर्ष प्रतिनिधि रचनाकार हैं।
विलक्षण साहित्यकार सुधा ओम ढींगरा के साहित्य पर नजर डालते हैं तो हम पाते हैं कि उन्होंने अमरीका में रहते हुए भी इतना सारा और इतना अच्छा साहित्य रचा है कि यह देख कर खुशी होती है कि भारत की इस बेटी ने अमरीका में भारत का सर बुलंद किया है। अगर यह कहें तो सही होगा कि उन्होंने भारत की शीर्ष प्रतिनिधि रचनाकार हैं।
शानदार उपन्यास,बेहतरीन कहानियां, खूबसूरत लेखन
सुधा ओम ढींगरा के उपन्यास व कहानी लेखन की रोचक शैली है, जो पाठक के दिल को छू जाती है। उनके उपन्यास दृश्य से अदृश्य का सफ़र, नक़्क़ाशीदर कैबिनेट पठनीय हैं। सुधा ओम ढींगरा का कहानी संग्रह ‘ चलो फिर से शुरू करें] रोचक है। वहीं मेरी पसंदीदा कहानियाँ, मेरी कहानियाँ, कथा-सप्तक, खिड़कियों से झाँकती ऑंखें,दस प्रतिनिधि कहानियाँ, सच कुछ और था, प्रतिनिधि कहानियाँ, कमरा नंबर 103, कौन सी ज़मीन अपनी, कविता संग्रह सरकती परछाइयाँ, धूप से रूठी चाँदनी,निबंध संग्रह, विचार और समय, साक्षात् संग्रह, साक्षात्कारों के आईने में ( संपादक डॉ.रेनू यादव ), संपादन विमर्श: रुदादे-सफ़र, मन की तुरपाई ( नॉर्थ कैरोलाइना के शब्द शिल्पियों का काव्य संकलन ) और वैश्विक प्रेम कहानियाँ ( विश्व के प्रवासी लेखकों की प्रेम कहानियाँ )अम्लघात (एसिड अटैक की कहानियाँ ) बारह चर्चित कहानियाँ, विमर्श: जिन्हें जुर्म-ए-इश्क़ पर नाज़ था, विमर्श: अकाल में उत्सव, वैश्विक रचनाकार, कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ ( साक्षात्कार संग्रह ) भाग-1 व 2 और इतर ( प्रवासी महिला कथाकारों की कहानियाँ) लेखनी की खूबसूरत मिसालें हैं।
उनका और उनके बारे में लेखन बहुत
उनका और उनके बारे में लेखन भी बहुत है। इसमें अनूदित साहित्य भी शामिल है। हां, यात्रा वृतांत हो, नारी विमर्श, व्यंग्य और अनूदित साहित्य, ये अगर रोचक हों तो पाठक की आंखें किताब से नहीं हटतीं। सार्थक व्यंग्य का यात्री: प्रेम जनमेजय,मेरा दावा है (अमरीका के शब्द शिल्पियों का काव्य संकलन), संपादन सहयोगगवेषणा , प्रवासी साहित्य: जोहान्सबर्ग। अनुवाद धूप नाल रुस्सी चांदनी ( हिंदी काव्य संग्रह ‘धूप से रूठी चाँदनी’ का पंजाबी अनुवाद-डॉ. अमरजीत कौंके ),परिक्रमा (पंजाबी से अनूदित हिन्दी उपन्यास) में उनके कलम का जादू नजर आता है। ओह कोई होर सी, टॉरनेडो- कहानी संग्रह (सुधा ओम ढींगरा की कहानियों का पंजाबी में अनुवाद – नव्यवेश नवराही), कौन सी ज़मीन अपनी का ‘कुनखन आपून भूमि’ ( आसामी में अनुवाद- डॉ. निलाक्षी फुकन)कई कहानियाँ अंग्रेज़ी में अनूदित, आलोचना ग्रंथ-कथाओं के आलोक में डॉ.सुधा ओम ढींगरा-डॉ. रेनू यादव,सुधा ओम ढींगरा की कहानियों में आधी आबादी का सच-डॉ. विशाला शर्मा,प्रवासी साहित्यकार- सुधा ओम ढींगरा, संपादक-शगुफ़्ता नियाज़, अनुसन्धान( प्रवासी कथाकार सुधा ओम ढींगरा पर केंद्रित ) संपादक-शगुफ़्ता नियाज़ के माध्यम से उनके विशिष्ट साहित्यिक योगदान के बारे में पता चलता है।
सुधा ओम ढींगरा और विमर्श
विमर्श की बात करें तो विमर्श दृष्टि- सुधा ओम ढींगरा का साहित्य-पंकज सुबीर,विमर्श- नक़्क़ाशीदार केबिनेट- पंकज सुबीर, शोध दृष्टि- सुधा ओम ढींगरा का साहित्य – बलबीर सिंह, प्रकाश चंद्र बैरवा। सुधा ओम ढींगरा: रचनात्मकता की दिशाएँ-वंदना गुप्ता। प्रकाशनाधीन कृतियाँ – दो कहानी संग्रह , एक संस्मरण संग्रह प्रकाशनाधीन।
हर कला में भारत और भारतीयता
जब सन् 2014 में ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउंडेशन, यूएसए की स्थापना की गई और इसके माध्यम से भारत में आर्थिक रूप से कमज़ोर बालिकाओं की शिक्षा और कंप्यूटर ट्रेनिंग के स्कूल खोले गए ,तब अंतरराष्ट्रीय पत्रिका विभोम-स्वर का भारत और अमरीका से प्रकाशन शुरू किया गया। ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउंडेशन की ओर से साहित्यिक सम्मान भी शुरू किये गए। उन्होंने सन् 2009 से रामलीला का नाटकीय रूप में मोर्रिस्विल्ल, नॉर्थ कैरोलाइना, अमरीका में मंचन कर इसे प्रचलित किया, खुशी है कि अब हर साल हज़ारों लोग देखने आते हैं। सुधा ओम ढींगरा ने सन 1991 से हिन्दी नाटकों का मंचन कर हिन्दी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए धन एकत्र किया। यही नहीं,उन्होंने सन् 1989 से 2020 तक 250 कवि सम्मेलनों का संयोजन किया व इस विधा को अमरीका में लोकप्रिय किया। इसके अलावा हिन्दी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए कवि- सम्मेलनों से धन इकटठा किया, वह धन हिन्दी के स्कूल खोलने के लिए प्रयोग किया। इसके अलावा सन् 1991 में शिडोरी प्रोडक्शन की स्थापना कर इसके बैनर तले कई हिन्दी नाटकों का निर्देशन किया तो अनगिनत नाटकों में अभिनय भी किया।
जुड़ाव और जिम्मेदारियां और गतिविधियां
सुधा ओम ढींगरा सन् 1990 से हिन्दी विकास मंडल (नॉर्थ कैरोलाइना, अमरीका) के विभिन्न पदों पर रहीं। वे सन् 1990 से 1996 तक निर्देशक, सन् 1996 से 2002 तक निर्वाचित अध्यक्ष। अब न्यासी हैं।इसके अलावा वे सन् 1987 में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति, अमरीका के साथ जुड़ीं। वहीं सन् 1989 में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति, अमरीका का सेंट लुइस में वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया; जिसकी अध्यक्षता गाँधी जी के मित्र दक्षिण भारत के डॉ. सत्यनारायण मोटूरि ने की थी। वे सन् 1987 से सन् 2015 तक अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति, अमरीका में निर्देशक व राष्ट्रीय संयोजक रहीं।
अमरीका में बजा डंका
उन्हें सन् 1982 में अमरीका पहुंचीं। उन्होंने सन् 1984 से 1989 तक वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, सेंट लुइस में पढ़ाया और विश्वविद्यालय का हिन्दी रेडियो प्रोग्राम चलाया। उन्होंने कार्यक्रम में अधिकतर बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करवाई और उनसे हिन्दी बुलवाई।
उन्हें सन् 1982 में अमरीका पहुंचीं। उन्होंने सन् 1984 से 1989 तक वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, सेंट लुइस में पढ़ाया और विश्वविद्यालय का हिन्दी रेडियो प्रोग्राम चलाया। उन्होंने कार्यक्रम में अधिकतर बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करवाई और उनसे हिन्दी बुलवाई।
पुरस्कार और सम्मानों की सूची लंबी
सुधा ओम ढींगरा को मिले सम्मानों और अवार्डों की सूची बहुत लंबी है। उन्हें केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा की ओर से 2016 का पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण ‘हिन्दी सेवी सम्मान’ पुरस्कार राष्ट्रपति से राष्ट्रपति भवन में दिया गया। वहीं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की ओर से 2013 का ‘हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान’प्रदान किया गया। स्पंदन संस्था, भोपाल की ओर से 2013 का (स्पंदन प्रवासी कथा सम्मान) ‘कौन सी ज़मीन अपनी’ कहानी संग्रह को पन्द्रहवाँ अम्बिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार मिला।
विश्व की 111 हिन्दी लेखिकाओं में शामिल
‘दी संडे इंडियन’ ने विश्व की 111 हिन्दी लेखिकाओं पर अंक प्रकाशित किया,जिसमें वे शामिल रहीं। सुधा ओम ढींगरा अमरीका की उन चार लेखिकाओं में से एक हैं, जिन्हें यह सम्मान मिला। इसके अलावा ‘कथा बिम्ब’ पत्रिका में प्रकाशित कहानी ”फ़न्दा क्यों…?” वर्ष 2010 की श्रेष्ठ कहानी और ”कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार ” और इसी पत्रिका में ‘ऐसा भी होता है’ कहानी 2018 की सर्वश्रेष्ठ कहानी घोषित हुई और ”कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार” प्राप्त किया।
‘दी संडे इंडियन’ ने विश्व की 111 हिन्दी लेखिकाओं पर अंक प्रकाशित किया,जिसमें वे शामिल रहीं। सुधा ओम ढींगरा अमरीका की उन चार लेखिकाओं में से एक हैं, जिन्हें यह सम्मान मिला। इसके अलावा ‘कथा बिम्ब’ पत्रिका में प्रकाशित कहानी ”फ़न्दा क्यों…?” वर्ष 2010 की श्रेष्ठ कहानी और ”कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार ” और इसी पत्रिका में ‘ऐसा भी होता है’ कहानी 2018 की सर्वश्रेष्ठ कहानी घोषित हुई और ”कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार” प्राप्त किया।
सम्मान और नागरिक अभिनन्दन
चतुर्थ प्रवासी हिन्दी उत्सव 2006 में ”अक्षरम प्रवासी मीडिया सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा हैरिटेज सोसाइटी नॉर्थ कैरोलाइना (अमेरिका ) की ओर से उन्हें’सर्वोतम कवयित्री 2006” से सम्मानित किया गया। वहीं राएंगल इंडियन कम्युनिटी, नॉर्थ-कैरोलाइना (अमरीका) की ओर से ”2003 में नागरिक अभिनन्दन किया गया।
सम्मानों की झड़ी
हिन्दी विकास मंडल, नॉर्थ कैरोलाइना( अमरीका), हिंदू-सोसायटी, नॉर्थ कैरोलाइना( अमरीका) और अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति (अमरीका) ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार व सामाजिक कार्यों के लिए कई बार उन्हें सम्मानित किया। अमरीका में हिन्दी के प्रचार-प्रसार व सामाजिक कार्यों के लिए वाशिंगटन डी.सी. में तत्कालीन राजदूत नरेश चंदर ने सम्मानित किया। वहीं 37वाँ जनार्दन शर्मा सम्मान-2016 और शांति गया प्रवासी रत्न सम्मान-2019, सूरज प्रकाश मरवाहा साहित्य रत्न अवार्ड-2020 से नवाजा गया। इसके अलावा भारत अंतरराष्ट्रीय महिला मंच की ओर से साहित्य सेवा के लिए राज्य-लेफ्टिनेंट गवर्नर, उत्तरी कैरोलिना-2006 द ग्रेट इंडियन वुमन अवार्ड-2021से सम्मानित किया गया। निराला सम्मान-2020 ( आखर-आखर , अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वैब पत्रिका)
साहित्य पर उपलब्ध आलोचनात्मक कृतियाँ
सुधा ओम ढींगरा की कहानियों में प्रवासी समाज का स्वरूप-सुबोध शर्मा
सुशा ओम ढींगरा का साहित्य: प्रवासी संस्कृति का अध्ययन-अलका
सुधा ओम ढींगरा की कहानियों में प्रवासी जीवन-शहनाज़
प्रवासी भारतीयों की समस्याएं व संवेदनाएँ ( सुधा ओम ढींगरा की कहानियों के विशेष सन्दर्भ में ) प्रसीता पी
डॉ.सुधा ओम ढींगरा की कहानियों में अभिव्यक्त तथा निहित समस्याएं- लेखिका निधिराज भडाना व रेशू पाण्डेय;
सुधा ओम ढींगरा की कहानियों में प्रवासी समाज का स्वरूप-सुबोध शर्मा
सुशा ओम ढींगरा का साहित्य: प्रवासी संस्कृति का अध्ययन-अलका
सुधा ओम ढींगरा की कहानियों में प्रवासी जीवन-शहनाज़
प्रवासी भारतीयों की समस्याएं व संवेदनाएँ ( सुधा ओम ढींगरा की कहानियों के विशेष सन्दर्भ में ) प्रसीता पी
डॉ.सुधा ओम ढींगरा की कहानियों में अभिव्यक्त तथा निहित समस्याएं- लेखिका निधिराज भडाना व रेशू पाण्डेय;
सम्प्रति और व्यवसाय
वे अमरीका और भारत की अमरीका और भारत की पत्रिका विभोम-स्वर की मुख्य संपादक हैं। इसके अलावा शिवना साहित्यिकी पत्रिका की संरक्षक व सलाहकार संपादक हैं।वहीं ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउंडेशन की उपाध्यक्ष और सचिव हैं।
वे अमरीका और भारत की अमरीका और भारत की पत्रिका विभोम-स्वर की मुख्य संपादक हैं। इसके अलावा शिवना साहित्यिकी पत्रिका की संरक्षक व सलाहकार संपादक हैं।वहीं ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउंडेशन की उपाध्यक्ष और सचिव हैं।
इतना सारा लेखन, इतने सारे कीर्तिमान
उनकी एक हज़ार के करीब दैनिक समाचार पत्रों के स्तंभों और साहित्यिक पृष्ठों पर रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं, जिनमें इंटरव्यू ,लेख, कविताएँ और कहानियाँ शामिल हैं। हिन्दी साहित्य की शीर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं, हंस, वागर्थ, पाखी, कथाक्रम, कथादेश, आधारशिला, पुष्पलता, वनिता, शोष दिशा, सरस्वती सुमन, हिन्दी चेतना, व्यंग्य-यात्रा, नया ज्ञानोदय, कथाबिंब, सेतु, अभिनव प्रयास, वाङ्ग्मय, अविराम साहित्यिकी, प्रतिमान, प्राची, नया प्रतिमान, हरिभूमि, विश्वा, सौरभ, डी विटनेस, लमही, पर्वत राग और निकट आदि में साठ के करीब कहानियाँ व कविताएँ , लेख और व्यंग्य प्रकाशित हुए हैं। सात पत्रिकाओं के प्रवासी विशेषांकों में कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं। यही नहीं, एक 150 के करीब पुस्तकों में कहानियाँ, कविताएँ और आलेखों से साहित्यिक सहयोग दिया।
कौन सी ज़मीन अपनी पर लघु फिल्म
सुधा ओम ढींगरा पर लिखते समय यह सोचना पढ़ा कि क्या लिखें और क्या छोड़ें, उनकी कहानियां और कविताएं अमरीका में पढ़ाई जाती हैं। नॉर्थ कैरोलाइना, अमरीका के यूएनसी चैपल हिल, में कविताएँ और एन सी स्टेट विश्वविद्याल में कहानी ‘कौन सी ज़मीन अपनी’ पढ़ाई जाती है। मुंबई, कलकत्ता और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा में कहानियाँ टॉरनेडो , क्षितिज से परे और कौन सी ज़मीन अपनी पढ़ाई जाती हैं। कौन सी ज़मीन अपनी पर शिवना क्रिएशन ने लघु फिल्म बनाई है। बहरहाल इस भारतवंशी शख्सियत के विशिष्ट व उललेखनीय योगदान पर गर्व महसूस होता है।