कई पीढ़ियों से मंदिर की रक्षा करने की चर्चा लोककथाओं में कहा गया है कि एक अकेला मगरमच्छ कई वर्षों से मंदिर की झील की रखवाली कर रहा है और ‘बाबिया’ उस वंश में तीसरे स्थान पर है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर की रखवाली करने वाले की मौत के तुरंत बाद झील में एक नया मगरमच्छ दिखाई देता है। मंदिर के लोगों के अनुसार, यह अस्पष्टीकृत घटना इस तथ्य के बावजूद होती है कि आसपास की किसी भी झील या नदी में मगरमच्छ नहीं हैं।
विष्णु की गुफा का करता था रखवाली किंवदंती है कि मगरमच्छ उस गुफा की रखवाली करता है जिसमें हजारों साल पहले भगवान विष्णु (मंदिर के पीठासीन देवता) गायब हो गए थे। उत्तरी केरल के कासरगोड जिले में स्थित इस झील मंदिर या श्री अनंत पद्मनाभ स्वामी मंदिर को ‘मूलस्थानम’ या श्री अनंत पद्मनाभ स्वामी मंदिर के मूल स्रोत के रूप में जाना जाता है।
रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर के पुजारी मंदिर की इसी झील में पवित्र डुबकी लगाते थे, जहाँ ये मगरमच्छ रहता था और फिर भी उन्हें कभी भी इस जीव ने नुकसान नहीं पहुँचाया। यह भी माना जाता है कि ये मगरमच्छ केवल शाकाहारी पवित्र प्रसाद और भक्तों द्वारा खिलाए जाने वाले प्रसाद पर ही जीवित रहे और इन्होंने इस झील में कभी मछलियों को भी नुकसान नहीं पहुंचाया और न उनका भक्षण किया। इसने मगरमच्छ को ‘भगवान का अपना मगरमच्छ’ और ‘वेजिटेरियन क्रोकोडाइल’ का उपनाम भी दिया गया था।
रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर के पुजारी मंदिर की इसी झील में पवित्र डुबकी लगाते थे, जहाँ ये मगरमच्छ रहता था और फिर भी उन्हें कभी भी इस जीव ने नुकसान नहीं पहुँचाया। यह भी माना जाता है कि ये मगरमच्छ केवल शाकाहारी पवित्र प्रसाद और भक्तों द्वारा खिलाए जाने वाले प्रसाद पर ही जीवित रहे और इन्होंने इस झील में कभी मछलियों को भी नुकसान नहीं पहुंचाया और न उनका भक्षण किया। इसने मगरमच्छ को ‘भगवान का अपना मगरमच्छ’ और ‘वेजिटेरियन क्रोकोडाइल’ का उपनाम भी दिया गया था।
मंदिर में प्रवेश करने पर भी किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान बता दें, हाल के वर्षों में, इस मगरमच्छ के मंदिर परिसर में प्रवेश करने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। कई बार मंदिर में प्रवेश करने के बाद भी, मंदिर के अंदर पहुंचने पर भी मगरमच्छ ने वहां किसी को नुकसान पहुंचाया।