क्या है टॉरिड उल्का वर्षा
अंतरिक्ष की खबरें देने वाली स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक टॉरिड उल्का वर्षा धूमकेतु 2P/Encke के मलबे, बर्फ और धूल की वजह से होती है, जब ये हमारे सौर मंडल से होकर गुजरता है। ये मलबा इतना बड़ा और फैला हुआ होता है कि पृथ्वी को मलबे के पूरे भाग से गुजरने में काफी लंबा समय लगता है, जिसके चलते इस वर्षा के दो अलग-अलग भागों का अनुभव होता है – उत्तरी टॉरिड्स और दक्षिणी टॉरिड्स। धूमकेतु एन्के और टॉरिड उल्का वर्षा को एक बहुत बड़े धूमकेतु के अवशेष माना जाता है, जो पिछले 20,000 से 30,000 सालों में टूटकर बिखर गया था। टॉरिड उल्काएं दूसरी उल्काओं के मुकाबले काफी बड़ी होती हैं। ये धरती के वायुमंडल से गुज़रने के बाद भी लंबे समय तक जिंदा रहती हैं। NASA की रिपोर्ट ने एक उदाहरण देेते हुए समझाया कि ओरियोनिड्स (उल्काएं) आमतौर पर 58 मील (93 किमी) की ऊँचाई पर जाकर जल जाते हैं जबकि टॉरिड्स आमतौर पर 42 मील (66 किमी) की दूरी तक पहुंचते हैं। हालांकि वे ओरियोनिड्स के मुकाबले धीमी रफ्तार से चलते हैं। ये लगभग 17 मील (27 किलोमीटर) प्रति सेकंड या 65,000 मील (104,000 किमी) प्रति घंटे की गति से आकाश में घूमते हैं। वहीं पर्सिड्स (उल्काएं) 37 मील (59 किमी) प्रति सेकंड की गति से आकाश में उड़ते हैं।